देश की खबरें | जैन की चिकित्सीय जांच एलएनजेपी के बजाय किसी अन्य अस्पतान में कराने के अनुरोध वाली अर्जी खारिज

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की वह याचिका मंगलवार को खारिज कर दी जिसमें उसने यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि धनशोधन मामले में मुकदमे का सामना कर रहे आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येन्द्र जैन की चिकित्सीय जांच दिल्ली सरकार द्वारा संचालित लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के बजाय एम्स जैसे किसी अन्य अस्पताल में करायी जाए।

नयी दिल्ली, 11 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की वह याचिका मंगलवार को खारिज कर दी जिसमें उसने यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि धनशोधन मामले में मुकदमे का सामना कर रहे आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येन्द्र जैन की चिकित्सीय जांच दिल्ली सरकार द्वारा संचालित लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के बजाय एम्स जैसे किसी अन्य अस्पताल में करायी जाए।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि चूंकि मामला अब उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए उच्च न्यायालय में निर्णय करने के लिए कुछ नहीं बचा है।

दिल्ली के पूर्व मंत्री जैन शीर्ष अदालत के आदेश के अनुपालन में अंतरिम जमानत पर बाहर हैं, जो 24 जुलाई को मामले की सुनवाई करने वाला है। ईडी की दलील है कि जैन दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री थे इसलिए उनका अस्पताल पर प्रभाव है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि मामला अब उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए यहां कुछ भी नहीं बचा है, रिट याचिका खारिज की जाती है।’’

पिछले साल जुलाई में ईडी द्वारा याचिका दायर करने के समय, जैन को एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और एजेंसी के वकील ने इस बात पर जोर दिया था कि इस बात की गंभीर आशंका है कि प्रासंगिक समय के दौरान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री रहे जैन का एलएनजेपी पर ‘‘प्रभाव’’ था। एजेंसी ने कहा था कि अस्पताल की वेबसाइट पर उनकी तस्वीर भी प्रमुखता से प्रदर्शित की गई थी और वह वहां एक कार्यक्रम में "सम्मानित अतिथि" भी थे।

आप नेता को पिछले साल 30 मई को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था और पहले उन्हें पुलिस हिरासत में और उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। जैन ने इसी साल फरवरी में दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। उन्हें 26 मई को चिकित्सा आधार पर छह सप्ताह के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दी गई थी और उसने 10 जुलाई को राहत 24 जुलाई तक बढ़ा दी थी।

उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में, ईडी ने निचली अदालत के 6 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है, जिसने आरोपी की चिकित्सीय जांच एलएनजेपी अस्पताल के बजाय राम मनोहर लोहिया अस्पताल या एम्स जैसे किसी भी स्वतंत्र अस्पताल द्वारा कराने के एजेंसी के अनुरोध को खारिज कर दिया था।

याचिका में कहा गया है, ‘‘…प्रवर्तन निदेशालय को इस बात पर गंभीर संदेह है कि क्या लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल या यहां तक कि जी बी पंत अस्पताल प्रतिवादी (जैन) की चिकित्सा स्थिति का स्वतंत्र रूप से आकलन करने में सक्षम होगा क्योंकि ये अस्पताल की वेबसाइट के मुखपृष्ठ पर प्रतिवादी का चित्र प्रमुखता से प्रदर्शित करते हैं।’’

एजेंसी ने जैन की अंतरिम जमानत याचिका में पारित निचली अदालत के 19 जुलाई के आदेश को भी चुनौती दी थी।

ईडी ने दावा किया था कि 27 जून, 2022 को मामले के जांच अधिकारी (आईओ) एलएनजेपी अस्पताल गए थे, जहां उन्होंने पाया कि जैन मरीज के बिस्तर पर सो रहे थे और उनके हाथ पर न तो कोई ‘कैनुला’ लगा था और मरीज का मल्टीपैरा मॉनिटर भी बंद था। ईडी ने साथ ही यह भी दावा किया था कि अधिकारी ने पाया कि जैन की निगरानी किसी भी चिकित्सा उपकरण से नहीं की जा रही थी और उनकी पत्नी कमरे में मौजूद थी।

एजेंसी ने कहा, ‘‘जब जांच अधिकारी कमरे में पहुंचा, तो प्रतिवादी ने तुरंत ऑक्सीजन मास्क, बीपी उपकरण बेल्ट पहन लिया और मॉनिटर भी चालू कर दिया गया।’’

एजेंसी ने कहा, ‘‘इन संदिग्ध परिस्थितियों में और यह तथ्य कि प्रथम दृष्टया प्रतिवादी की स्थिति ऐसी नहीं थी जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी, (निचली अदालत के समक्ष) यह निर्देश देने का अनुरोध करते हुए एक आवेदन दायर किया गया था कि उन्हें उनके स्वास्थ्य के स्वतंत्र आकलन के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल या नयी दिल्ली के एम्स अस्पताल जैसे किसी भी स्वतंत्र अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है।

उसने कहा कि निचली अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी।

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