देश की खबरें | पीएफआई के संदिग्ध सदस्यों को मथुरा जेल में वकीलों से मिलने की अनुमति

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तर प्रदेश सरकार पीएफआई के तीन कथित सदस्यों को जेल मैनुअल के मुताबिक कारागार में वकीलों से मिलने की अनुमति देने पर बृहस्पतिवार को राजी हो गई। इन लोगों को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया था जब वे हाथरस कांड के पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे।

प्रयागराज, दो फरवरी उत्तर प्रदेश सरकार पीएफआई के तीन कथित सदस्यों को जेल मैनुअल के मुताबिक कारागार में वकीलों से मिलने की अनुमति देने पर बृहस्पतिवार को राजी हो गई। इन लोगों को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया था जब वे हाथरस कांड के पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे।

प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत को यह जानकारी दी। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया था कि मथुरा जेल के अधीक्षक आवेदकों के वकील को उनसे मिलने नहीं दे रहे हैं।

मुजफ्फरनगर के अतीक उर रहमान, बहराइच के मसूद और रामपुर के आलम द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख चार फरवरी तय की।

इससे पूर्व, पांच जनवरी, 2020 को अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को इस याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

इन तीन व्यक्तियों को मथुरा पुलिस ने पिछले वर्ष पांच अक्तूबर को गिरफ्तार किया था और इनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि ये व्यक्ति हाथरस घटना का अनुचिल लाभ लेने, कानून व्यवस्था बिगाड़ने और प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की मंशा से हाथरस जा रहे थे।

इन व्यक्तियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोप लगाया था कि इन तीनों व्यक्तियों का पीएफआई की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) से संबंध है। जेल से रिहाई की मांग करते हुए इन याचिकाकर्ताओं ने मजिस्ट्रेट के आदेश को गैर कानूनी बताते हुए इस चुनौती दी थी।

इन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन पर मुकदमा चलाना या उन्हें हिरासत में भेजना मथुरा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। रहमान और मसूद पीड़ित युवती के परिजनों से मिलने जा रहे थे, जबकि आलम उन्हें गंतव्य तक ले जा रहा था।

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 14 सितंबर, 2020 को 19वर्षीय एक युवती के साथ उसके गांव के चार पुरुषों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया। प्रदेश के कई अस्पतालों से होते हुए उसे नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग लाया गया जहां उसकी मौत हो गई। उसका कथित तौर पर उसके गांव में आधी रात को अंतिम संस्कार किया गया था। युवती के परिवार के सदस्यों ने दावा किया था कि अस्पताल में मौत के बाद, हाथरस पुलिस उसका शव ले गई थी और उनकी अनुमति के बिना ही रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। पुलिस ने परिवार के सदस्यों को लड़की का शव घर तक ले जाने की अनुमति कथित तौर पर नहीं दी थी।

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