डीएचसीएल के निगमीकरण की एसआईटी से जांच के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका

नयी दिल्ली, नौ अप्रैल दिल्ली हेल्थकेयर कार्पोरेशन लि. के निगमीकरण की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी है। याचिका में दावा किया गया है कि डीएचसीएल के निगमीकरण में कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।

यह याचिका एक वित्तीय अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा ने दायर की है। याचिका जुलाई में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध की गयी है क्योंकि इस समय कोरोना वायरस महामारी की वजह से अदालतों में बहुत सीमित कामकाज हो रहा है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि डीएचसीएल का निगमीकरण देश के संविधान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, कानून और कार्य निष्पादन नियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार नहीं हुआ है।

याचिका में डीएचसीएल के निगमीकरण की विशेष जांच दल से जांच कराने के साथ ही इसके खातों और कामकाज आदि का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से ऑडिट कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि डीएचसीएल का निगमीकण उपराज्यपाल की मंजूरी के बगैर ही किया गया है और इसलिए ऐसा करने में संलिप्त रहे अधिकारियों के खिलाफ विश्वास भंग करने के आरोप में आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का भी अनुरोध किया गया है।

मिश्रा ने पिछले साल जुलाई में भी उपराज्यपाल की मंजूरी के बगैर ही डीएचसीएल का निगमीकरण करने के मामले में आप सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये याचिका दायर की थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने उस समय इसमें हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था, लेकिन उसने सीएजी को डीएचसीएल, दिल्ली आरोग्य कोष, आप सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा सरकारी धन के उपयोग के मामले में ऑडिट के समय सारी सावधानी बरतने का निर्देश दिया था।

मिश्रा ने अब नयी याचिका में दावा किया है कि सूचना के अधिकार कानून के तहत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय से डीएचसीएल के बारे में प्राप्त जानकारी से संकेत मिलता है कि इसकी अभी स्थापना नहीं हुयी है जबकि सरकार ने 2016 में कई व्यक्तियों को दिल्ली हेल्थकेयर कार्पोरेशन लि. का निदेशक नियुक्त कर दिया था।

अनूप

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