देश की खबरें | संसदीय समिति ने सरकार से नए छावनी विधेयक को यथाशीघ्र संसद में पेश करने को कहा
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नयी दिल्ली, 17 मार्च छावनी क्षेत्रों में निवासियों के कल्याण और देश में छावनी बोर्डो में लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखने के मकसद से संसद की एक समिति ने नए छावनी विधेयक को अविलंब अंतिम रूप देने और इसे यथाशीघ्र संसद में प्रस्तुत करने की सिफारिश की है।
संसद में पेश रक्षा संबंधी स्थायी समिति के 26वें प्रतिवेदन में कहा गया है कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रविष्टि 3 में कहा गया है कि छावनी क्षेत्रों के परिसीमन, इन क्षेत्रों के स्थानीय स्वशासन, छावनी प्राधिकारियों के गठन और शक्तियों एवं किराए के नियंत्रण सहित आवास के विनियमन के लिये कानून बनाने में संसद सक्षम है।
संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार, छावनी अधिनियम 1924 के अंतर्गत छावनियों के प्रशासन और छावनी बोर्डों की भूमिका पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत महसूस हुई। इसका उद्देश्य छावनियों के प्रशासन से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना, वित्तीय आधार में सुधार तथा विकास से संबंधित कार्यो एवं अन्य संबंधित मामलों में प्रावधान करना था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022-23 के अनुदानों की मांगों की जांच के दौरान समिति को बताया गया कि नए छावनी विधेयक को अंतिम रूप देने पर विचार विमर्श चल रहा है । प्रस्तावित नए विधेयक की मुख्य विशेषताओं में अन्य बातों के साथ साथ छावनी बोर्ड में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि करना, छावनी ढांचे का अधिक लोकतंत्रीकरण और आधुनिकीकरण, निर्वाचित प्रतिनिधियों को अधिक वित्तीय शक्ति प्रदान करना शामिल है।
प्रस्तावित विधेयक में नये एवं आधुनिक नगरपालिका अधिनियम को लागू करना तथा नागरिकों के लिये सुविधाजनक जीवन पर विचार करना भी शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि वह समझती है कि छावनी क्षेत्रों के निवासियों और छावनी बोर्डों के लोकतांत्रिक कामकाज से संबंधित विभिन्न प्रावधान नए छावनी विधेयक के अधिनियमन पर निर्भर करते हैं और ऐसा ही एक प्रावधान देश के विभिन्न छावनी बोर्डो में चुनाव आयोजित करवाना है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति को यह बताया गया कि आज की तिथि के अनुसार, 61 छावनी बोर्ड में चुनाव होने हैं।
समिति यह भली-भांति समझती है कि छावनी बोर्डो में परिवर्तन करना एक तदर्थ व्यवस्था और छावनी क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों के उचित प्रतिनिधित्व के लिये नियमित चुनाव की आवश्यकता होती है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति यह समझती है कि पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न हितधारकों से राय मांगी गई थी और उसके आधार पर नया मसौदा विधेयक सार्वजनिक किया गया था ।
इसमें कहा गया है कि छावनी क्षेत्रों में निवासियों के कल्याण और देश में छावनी बोर्डो में लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखने के लिये समिति यह सिफारिश करती है कि नए छावनी विधेयक को अविलंब अंतिम रूप दिया जाए और इसे यथाशीघ्र संसद में प्रस्तुत किया जाए ।
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