इस्लामाबाद, 15 सितंबर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने देश के भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों में पूर्व सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को शुक्रवार को रद्द कर दिया।
न्यायालय ने संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिका पर यह फैसला दिया। इन संशोधनों को जेल में बंद देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने चुनौती दी थी।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी प्रमुख ने पिछले साल एक याचिका दायर कर पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नीत तत्कालीन सरकार द्वारा जवाबदेही कानूनों में किए गए संशोधनों को चुनौती दी थी।
पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन और न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने 2-1 के बहुमत से निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति शाह बहुमत के फैसले से असहमत थे।
न्यायालय ने संशोधनों को रद्द करते हुए घोषणा की कि भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के अधिकार क्षेत्र को 50 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों तक सीमित करने जैसे संशोधन संविधान के खिलाफ हैं।
उसने सार्वजनिक पद पर कार्यरत लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को बहाल कर दिया।
अदालत ने निर्देश दिया कि एनएबी का अधिकार क्षेत्र सीमित होने के बाद वापस लिए गए मामलों को जवाबदेही अदालतों में सुनवाई के लिए लाया जाए।
गठबंधन सरकार ने 1999 के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) अध्यादेश में राष्ट्रीय जवाबदेही (दूसरा संशोधन) अधिनियम 2022 के माध्यम से कई बदलाव किए थे, जिसे खान ने पिछले साल जून में चुनौती दी थी।
इनमें एनएबी अध्यक्ष और महाभियोजक का कार्यकाल घटाकर तीन साल करना, भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था के अधिकार क्षेत्र को 50 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों तक सीमित करना और सभी लंबित पूछताछ, जांच और सुनवाई को संबंधित अधिकारियों के पास स्थानांतरित करना शामिल था।
इस मामले से 53 से अधिक सुनवाई हुई। न्यायालय ने पांच सितंबर को सुनवाई समाप्त की और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसे प्रधान न्यायाधीश बंदियाल की सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले सुनाया गया।
प्रधान न्यायाधीश के रूप में फरवरी 2022 में पदभार संभालने वाले न्यायमूर्ति बंदियाल 16 सितंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)