देश की खबरें | विपक्षी नेताओं ने केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत का स्वागत किया
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नयी दिल्ली, 10 मई विपक्षी दलों के विभिन्न नेताओं ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई अंतरिम जमानत का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘‘लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई’’ अब और अधिक तेजी से लड़ी जायेगी।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने उम्मीद जताई कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी उचित न्याय मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय द्वारा अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिये जाने का स्वागत करते हैं...हम यह भी उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री को चार जून के बाद, जब वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री बनेंगे, साबरमती आश्रम में बैठकर आत्मनिरीक्षण करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा कि उन्होंने किस तरह की राजनीति की है।’’
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसा जल्द ही हो जाना चाहिए था।
थरूर ने संवाददाता सम्मेलन में केजरीवाल की गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक मकसद बताया। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं था?’’
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी लोकसभा चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद की गई थी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल गई है। यह मौजूदा चुनावों के संदर्भ में बहुत मददगार होगी।”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय द्वारा केजरीवाल को दी गई अंतरिम जमानत के आदेश का स्वागत करता हूं।’’
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की नेता एवं जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन ने केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत का स्वागत किया और कहा कि यह तानाशाही ताकतों को यह दिखाने का समय है कि देश बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान द्वारा चलाया जा रहा है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आज अंतरिम जमानत मिलने पर केजरीवाल को हार्दिक बधाई और जोहार। संघर्ष में उनकी साथी सुनीता जी और परिवार के अन्य सदस्यों को भी हार्दिक बधाई।’’
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे केजरीवाल के लिए "बड़ी जीत" बताया।
चतुर्वेदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अरविंद केजरीवाल जी की उस समय बड़ी जीत हुई, जब उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अंतरिम जमानत देने का फैसला किया। विपक्ष को चुप कराने की भाजपा की कोशिश उन्हीं पर भारी पड़ रही है। हम चुप नहीं बैठेंगे, झुकेंगे नहीं, चाहे कुछ भी हो जाए, झुकेंगे नहीं। भारत देख रहा है, भारत जीत रहा है! जय हिन्द!’’
शिवसेना (यूबीटी) के एक अन्य नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि देश में ‘‘तानाशाही शासन’’ के खिलाफ केजरीवाल को न्याय और राहत मिलना बदलाव की बयार का एक बड़ा संकेत है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वे अब लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई और अधिक मजबूती से लड़ेंगे।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद...अब हम लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई और मजबूती से लड़ेंगे।’’
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने केजरीवाल को मौजूदा लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई अंतरिम जमानत का स्वागत किया।
विजयन ने कहा कि यह आदेश ‘‘सत्ता के दुरुपयोग के माध्यम से लोकतंत्र को कमजोर करने के भाजपा के गुप्त प्रयासों का दृढ़ जवाब’’ है जबकि सतीशन ने इसे संघ परिवार की "बदले की राजनीति" के लिए एक बड़ा झटका बताया।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर रिहाई का स्वागत करते हुए कहा कि जमानत एक अधिकार है, लेकिन यह बहुत अजीब बात है कि अपराध साबित नहीं होने पर भी इसे प्राप्त करने में इतना समय लगता है।
मुफ्ती ने गांदेरबल में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बहुत अजीब बात है। जमानत एक अधिकार है। जब तक आप किसी व्यक्ति को दोषी साबित नहीं कर देते, तब तक उसकी जगह जेल नहीं है और जमानत उसका अधिकार है। मुझे खुशी है कि केजरीवाल को आखिरकार अंतरिम जमानत मिल गई।’’
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में ‘अराजकता’ है और किसी को भी जेल भेजा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम क्या कह सकते हैं? आज अराजकता का माहौल है। किसी को भी जेल में डाला जा सकता है और जमानत मिलने में इतना समय लगता है।’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें लोकसभा चुनाव के बीच में प्रचार के लिए धनशोधन के एक मामले में एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन उनके कार्यालय या दिल्ली सचिवालय जाने और तब तक सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर रोक लगा दी जब तक उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए ऐसा पूरी तरह जरूरी नहीं हो।
दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित एक मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था। यह नीति अब समाप्त कर दी गयी है।
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