One Year of Kisan Rail: किसान रेल’ जहां देशभर के किसानों के लिए वरदान बनकर आई है, वहीं रेलवे को एक साल तक 50 प्रतिशत छूट के साथ इन ट्रेनों का परिचालन करने के बदले में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से अभी तक तकरीबन 40 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं. भारतीय रेल ने 14 अक्टूबर 2020 से 10 अक्टूबर 2021 तक किसान रेल से किसानों की वस्तुओं की ढुलाई के लिए करीब 95 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ‘ऑपरेशन ग्रीन्स-टॉप टू टोटल’ योजना के तहत किसान रेल से फलों व सब्जियों की ढुलाई में 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है.
इस सब्सिडी का भार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय को उठाना है, जिसने रेल मंत्रालय को अब तक रकम की अदायगी नहीं की है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2020 में सेवाएं शुरू होने के बाद से रेलवे ने 129 मार्गों पर 1,455 किसान रेल गाड़ियां परिचालित की हैं, जिसके जरिए 182.46 करोड़ रुपये मूल्य की 4.78 लाख टन माल की ढुलाई की गई और 94.92 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई. अधिकारियों ने बताया कि हालांकि रेलवे को अब तक सिर्फ करीब 55 करोड़ रुपये ही खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से मिल पाये हैं. यह भी पढ़े: Indian Railways: पैसेंजर ट्रेनों का किराया नहीं बढ़ेगा, भारतीय रेलवे ने दिया ये जवाब
उन्होंने बताया कि रेलवे बोर्ड अध्यक्ष और सदस्य, ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट, दोनों ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय को पत्र लिख कर किसान रेल योजना पर खर्च बढ़ा कर 150 करोड़ रुपये करने की जरूरत को रेखांकित किया है ताकि सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके.
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम सब्सिडी के लिए भुगतान करने की खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की क्षमता के बारे में उससे जवाब मिलने तक ये सेवाएं जारी रखेंगे। यदि वह ऐसा करने में असमर्थता जताता है तो हम इस विषय में कोई फैसला करेंगे.
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