जरुरी जानकारी | शिकागो एक्सचेंज के मजबूत रहने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. शिकागो एक्सचेंज के कल रात मजबूत बंद होने से स्थानीय कारोबारी धारणा मजबूत रही और इस बीच देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तिलहन को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहन के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए। डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग कमजोर रहने के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम अपरिवर्तित रहे।
नयी दिल्ली, 10 अगस्त शिकागो एक्सचेंज के कल रात मजबूत बंद होने से स्थानीय कारोबारी धारणा मजबूत रही और इस बीच देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तिलहन को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहन के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए। डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग कमजोर रहने के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम अपरिवर्तित रहे।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ रहा है और विदेशों में उत्पादकता भी हमारे देश के मुकाबले कहीं काफी अधिक है। ब्राजील सहित कई स्थानों पर बायो-डीजल बनाने के लिए भी सोयाबीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस कारण विदेशों में डीओसी ज्यादा निकल रहा है और कल रात भी डीओसी के दाम डेढ़-पौने दो प्रतिशत टूटे हैं। जिससे उनके दाम के सामने देश के डीओसी महंगा होने के कारण बेपड़ता हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब आयातित सोयाबीन तेल के सस्ते थोक दाम के आगे अभी का सोयाबीन नहीं खप रहा है तो अगले लगभग डेढ़ महीने में जो सोयाबीन की नयी फसल आयेगी तो उसके खपने के बारे में चिंता करनी होगी।
उन्होंने कहा कि यही हाल बाकी देशी तेल तिलहनों (सूरजमुखी, सरसों, कपास से निकलने वाला बिनौला, मूंगफली आदि) का भी हो रहा है। देशी तेल तिलहन को मामूली आयात शुल्क की जबर्दस्त चोट लग रही है।
सूत्रों ने कहा कि अर्जेन्टीना में वेतन वृद्धि की मांग को लेकर आम मजदूरों की हड़ताल में तिलहन कामगार भी शामिल हैं जिसकी वजह से कामकाज बाधित है। इस वजह से भी बाकी तेल तिलहनों के साथ सोयाबीन तेल में सुधार है।
सूत्रों ने कहा यह सुधार शुक्रवार के दाम के मुकाबले है लेकिन इसके बावजूद देशी सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम ही हैं। लेकिन कुछ कुछ त्योहारी मांग के कारण भी खाद्यतेल कीमतों में सुधार है जहां थोक दाम सस्ता होने के कारण आयातित तेल बाजार में खप भी रहे हैं। लेकिन इनके खुदरा बाजार में दाम फिर भी मौजूदा गिरावट को देखते हुए काफी अधिक है। इस वजह से देशी पेराई मिलों को देशी तिलहनों की पेराई में नुकसान हो रहा है क्योंकि पेराई के बाद देशी तेल बेपड़ता हो रहे हैं। इस वजह से नीचे दाम पर बिकवाली करने से तेल मिलों को नुकसान है।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में देश के किसानों, तेल पेराई मिलों, आयातकों, उपभोक्ताओं को नुकसान है और इससे केवल विदेशों की पेराई मिलों को फायदा दिख रहा है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,975-6,015 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,525-6,800 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,335-2,635 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,890-1,990 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,890-2,015 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,225 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,925 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,525 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,050 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,460-4,480 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,270-4,395 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,125 रुपये प्रति क्विंटल।
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