उत्तरप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या 2281 हुई
प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''अभी तक प्रदेश में संक्रमण के 2281 प्रकरण 61 जिलों से आये हैं । संक्रमण के सक्रिय मामलों की संख्या 1685 है ।''
लखनऊ, एक मई उत्तरप्रदेश में शुक्रवार तक कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों की संख्या 2281 हो गयी ।
प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''अभी तक प्रदेश में संक्रमण के 2281 प्रकरण 61 जिलों से आये हैं । संक्रमण के सक्रिय मामलों की संख्या 1685 है ।''
प्रसाद ने कहा, ''कुल 555 लोग संक्रमण से उबरकर अपने घरों को लौट गये हैं जबकि 41 लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हुई है ।''
उन्होंने बताया कि कल प्रयोगशालाओं में 4177 नमूने की जांच की गयी जबकि 3740 नये सैम्पल भेजे गये । प्रदेश में पूल टेस्टिंग लगातार हो रही है । पूल टेस्टिंग शुरू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है।
प्रसाद ने बताया कि कल 349 पूल की टेस्टिंग की गयी है और पूल में 1649 सैम्पल लगाये गये । इनमें से आठ पूल पाजिटिव पाये गये ।
उन्होंने कहा, ''ये :कोविड—19: संक्रामक बीमारी है । यह जाति, धर्म, मजहब कुछ नहीं देखती । यह किसी को भी हो सकती है, इसलिए अगर लक्षण आते हैं तो घबराये नहीं बल्कि तत्काल स्वास्थ्य केन्द्र में आयें और जांच करायें । प्रदेश सरकार जांच और चिकित्सा की सुविधा नि:शुल्क मुहैया करा रही है ।''
प्रसाद ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर 1800—180—5145 पर फोन करें और लक्षणों के आधार पर जितनी जल्दी स्वास्थ्य केन्द्र आएंगे, स्वस्थ होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी ।
उन्होंने बताया कि जिनकी अधिक उम्र है, ऐसे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज भी बिल्कुल ठीक होकर जा रहे हैं या जो पहले से गंभीर बीमारियों के शिकार थे, वे भी पूर्णतया ठीक होकर गये हैं ।
प्रमुख सचिव ने कहा, ''परेशानी केवल उन्हें हो रही है जो आखिरी समय में अस्पताल आ रहे हैं इसलिए जैसे ही लक्षण नजर आये, तत्काल अस्पताल आयें ।''
उन्होंने आम जनता से अनुरोध किया कि उसे अपने इर्द गिर्द अगर ऐसे लक्षण वाले व्यक्ति मिलते हैं तो उसे बताइये । उनसे सामान्य व्यवहार करें । ना तो उनसे डरना है और ना ही उन्हें हीन दृष्टि से देखना है । ये बीमारी किसी को भी हो सकती है ।
टेली परामर्श के बारे में प्रसाद ने कहा कि बहुत से लोग लॉकडाउन के चलते अस्पताल में नहीं जा पा रहे हैं । ऐसे में टेली—परामर्श अधिक से अधिक होना चाहिए ।
प्रसाद ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से अनुरोध किया कि विभिन्न शहरों में जो डाक्टर टेली—परामर्श के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उसे नियमित रूप से नि:शुल्क प्रचारित एवं प्रसारित करें ।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर और उनके फोन नंबर देने चाहिए ताकि कोई भी बीमार व्यक्ति फोन कर सलाह ले सके । सरकारी और निजी दोनों ही डाक्टर इस तरह की सुविधा दे रहे हैं । जितना अधिक टेली—परामर्श होगा, उतना ही घर से कम निकलना पड़ेगा । दवा लेकर घर पर ही ठीक हो सकते हैं ।
प्रसाद ने कहा कि एल—1 अस्पताल मूलतया उन लोगों के लिए हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण के बहुत हल्के लक्षण हैं या लक्षण है ही नहीं । एल—2 और एल—3 अस्पताल उन लोगों के लिए हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है । छोटे बच्चे, अधिक उम्र वाले या पहले से गंभीर रूप से बीमार लोगों को एल—2 या एल—3 अस्पताल में भर्ती करना चाहिए ।
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