देश की खबरें | नोएडा : तकनीकी सहायता देने के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले गिरोह के 15 लोग गिरफ्तार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तर प्रदेश के थाना सेक्टर 39 पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो तकनीकी सहायता के नाम पर अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटर, लैपटॉप को रिमोट पर लेकर उनके साथ ठगी करता था। पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
नोएडा, तीन अक्टूबर उत्तर प्रदेश के थाना सेक्टर 39 पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो तकनीकी सहायता के नाम पर अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटर, लैपटॉप को रिमोट पर लेकर उनके साथ ठगी करता था। पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
सेक्टर-39 थाने की पुलिस ने बुधवार को सेक्टर-100 स्थित फर्जी कॉल सेंटर से 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया। ये ठग एप्पल प्रॉडक्ट के ऑर्डर रद्द होने पर रिफंड प्रोसेस करने के लिए तकनीकी सहायता के लिए फर्जी हेल्पलाइन नंबर देकर ठगी कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि पुलिस की टीम इस गिरोह के सरगना और अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।
सहायक पुलिस आयुक्त प्रवीण सिंह ने बताया कि थाना सेक्टर-39 पुलिस की टीम ने बुधवार को एक सूचना के आधार पर सेक्टर-100 में स्थित मकान संख्या सी-234 में दबिश देकर फर्जी कॉल सेंटर को पकड़ा।
उन्होंने बताया कि यहां वीओआईपी कॉलिंग का सर्वर लगाकर विदेशी नागरिकों के लैपटॉप एवं कंप्यूटर पर लिंक, वायरस डाला जाता था। इसके बाद टेक्रिकल सपोर्ट के नाम पर उनसे संपर्क कर उनके कंप्यूटर एवं लैपटॉप को रिमोट पर ले लिया जाता था।
उन्होंने बताया कि रिमोट पर लाने के बाद विदेशी नागरिकों के ऑनलाइन अकाउंट से ठग रकम ट्रांसफर कर लेते थे।
उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों की पहचान हो चुकी है।
सहायक पुलिस आयुक्त ने बताया कि ये आरोपी कई महीने से अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे, पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये लोग विदेशी नागरिकों से धोखाधड़ी करने के लिए कॉलिंग करने का काम करते हैं।
अधिकारी ने बताया कि विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर पर फर्जी लिंक तथा एक बार में कई ईमेल भेजते थे। उन्हें बताया जाता था कि एमेजॉन व पे-पल कंपनी की तरफ से एप्पल प्रॉडक्ट के ऑर्डर रद्द होने पर रिफंड प्रोसेस करने के लिए तकनीकी सपोर्ट कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों का एक संगठित गिरोह है, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अलग-अलग फर्जी कंपनी कागजों में बनाते हैं। इन फर्जी कंपनियों की आड़ में इन आरोपियों ने सेक्टर-100 में फर्जी कॉल सेंटर खोल रखा था।
अधिकारी ने बताया कि यहां से विदेशी नागरिकों खासकर अमेरिकी से संपर्क किया जाता था और उनके कंप्यूटर व लैपटॉप पर लिंक डालकर टेक्रिकल सपोर्ट का झांसा दिया जाता था। टेक्रिकल सपोर्ट के नाम पर ये लोग अलग अलग सॉफ्टवेयर के माध्यम से उनके लैपटॉप कंप्यूटर को हैक कर लेते थे और विदेशी नागरिकों के ऑनलाइन खाते या क्रेडिट कार्ड का डिटेल लेकर पैसे का ट्रांजैक्शन किराए पर लिए गए विदेशी अकाउंट में कर लेते थे।
एसीपी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि तकनीकी सहायता के नाम पर विदेशी नागरिकों से आरोपी डॉलर, गिफ्ट कूपन और क्रिप्टो करेंसी मंगवाते थे। इनके पास हवाला के माध्यम से भारतीय मुद्रा में कैश आता है।
दरअसल इन आरोपियों ने कई विदेशी अकाउंट किराए पर ले रखा है। इन किराए के अकाउंट में डॉलर में पैसे ट्रांजैक्शन किए जाते हैं। फिर किराए के अकाउंट वाले अपना कमीशन काटकर भारत में हवाला के माध्यम से ऑनलाइन भेजते हैं। पुलिस की टीम पूरे नेटवर्क के बारे में पता लगा रही है।
उन्होंने बताया, ‘‘वीओआईपी का मतलब वॉयर ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल होता है। यह व्हाट्स एप कॉलिंग जैसे काम करता है यानि इसकी रिकॉर्डिंग आदि नहीं होती है। यह इंटरनेट कॉलिंग है। इसमें कहां से किसे फोन किया जा रहा है। पता नहीं लगता है। ये जालसाज विदेशी नागरिकों से ठगी करने में वीओआईपी कॉलिंग का इस्तेमाल करते थे।’’
एसीपी ने बताया कि ठग डार्क वेब के जरिए विदेशी नागरिकों का डाटा लेते थे और इसके बाद विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर पर फर्जी लिंक तथा ईमेल भेजते थे। तकनीकी सहायता के नाम पर एक फर्जी हेल्प लाइन नंबर भी देते थे।
उन्होंने बताया कि उनके पास से पुलिस ने 18 लैपटॉप, 4 इंटरनेट राउटर, चार पहिया वाहन तीन, दो पहिया वाहन दो, 14 हेडफोन, 18 लैपटॉप चार्जर/एडाप्टर, 24 मोबाइल फोन, 98 हजार रुपये नकद बरामद किया है।
आधिकारी ने बताया कि आगे की कार्रवाई हो रही है।
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