देश की खबरें | कोई कानून बीएमसी को घर-घर जाकर टीकाकरण से नहीं रोकता : उच्च न्यायालय

मुंबई, 29 जून बंबई उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने मंगलवार को बीएमसी द्वारा कोविड-19 प्रबंधन के लिये किये गए काम की सराहना की लेकिन नगर निकाय से जानना चाहा कि जो लोग अपना घर छोड़कर नहीं निकल सकते उनके लिये घर-घर जाकर टीकाकरण करने से उसे क्या चीज रोक रही है।

न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो नागरिक प्रशासन को घर-घर जाकर टीकाकरण से रोकता है और कहा कि अदालतें हमेशा उनके कामों का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकतीं और न ही समाधान पेश कर सकती हैं। उन्होंने कानून में सुधार और बेहतर शासन के लिये विधायी शोध करने वाली एक स्वतंत्र विचारक संस्था (थिंक टैंक) ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के महाराष्ट्र कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित एक परिचर्चा में उन्होंने यह टिप्पणी की।

संस्था के मुताबिक यह केंद्र आधुनिक महाराष्ट्र को आकार देने के लिये महत्वपूर्ण कानूनी सुधारों पर काम करेगा।

न्यायमूर्ति पटेल ने जोर दिया कि बदलते समय के साथ तेजी से काम करने और आगे बढ़ने के लिये यह जरूरी है कि कानून नागरिक प्रशासन के लिये पर्याप्त गुंजाइश छोड़ें।

उन्होंने कहा, “शासन करने में विफलता पर कानूनी दखल की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन जब कार्यपालिका से ज्यादा करने की मांग की जाती है, जैसी कि अधिकांश पीआईएल (जनहित याचिकाओं) में मांग होती है, तब न्यायपालिका और कार्यपालिका में सीधे-सीधे टकराव होता है।”

न्यायाधीश ने कहा कि बृहन्मुंबई महानगर पालिका का मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में कोविड-19 प्रबंधन “शानदार” था।

न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, “बदलते वक्त में बीएमसी और तेजी से काम करने और वापसी में सक्षम हो पाया क्योंकि ज्यादा कानून और नियम नहीं थे। अभिनव तरीकों के साथ काम करने के लिये उसके पास विवेकाधीन शक्तियां थीं।”

उन्होंने हालांकि बीएमसी द्वारा घर-घर जाकर उन लोगों का टीकाकरण नहीं शुरू किए जाने को लेकर सवाल उठाए जो उम्र या स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलों की वजह से बाहर नहीं जा सकते।

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