नयी दिल्ली, 18 जून चक्रवाती तूफान ‘बिपारजॉय’ के गुजरात तट से टकराने से पहले के महज 72 घंटों में एक लाख से अधिक लोगों को एहतियातन निकालकर आश्रय गृहों में भेजना इस बात का संकेत है कि केंद्र व राज्य सरकार के बीच अच्छे समन्वय की वजह से न्यूनतम नुकसान हुआ। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि अब तक तूफान से एक भी व्यक्ति की मौत की खबर नहीं आई है।
उल्लेखनीय है कि तूफान बृहस्पतिवार की शाम को गुजरात के कच्छ जिले के जखौ के नजदीक तट से टकराया था जिसकी वजह से सैकड़ों पेड़ उखड़ गए थे, बिजली के खंभे गिर गए थे और कई घरों को नुकसान पहुंचा था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुजरात के नौ जिलों में तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रत्येक जिले में केंद्र और राज्य के एक-एक मंत्री की तैनाती की गई थी।
उन्होंने बताया कि ‘शून्य जानहानि’ के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक उद्देश्य तट के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना था।
अधिकारी ने बताया, ‘‘ तट से पांच किलोमीटर और पांच से 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए विस्तृत योजना बनाई गई थी। कच्छ जिले में अकेले 122 गांवों की पहचान की गई जो तट से 10 किलोमीटर के दायरे में आते थे जिनमें से 72 गांव तट से पांच किलोमीटर के दायरे में आ रहे थे।’’
अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्थिति का स्वयं जायजा लिया और उन कदमों के निर्देश दिए जिन्हें उठाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का मार्गदर्शन किया।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यह आपदा प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण है।’’
उन्होंने बताया 11 जून को पटेल ने प्रत्येक जिले में मंत्रियों को तैयारियों का जायजा लेने के लिए भेजा।
प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि केंद्र और राज्य सरकार, दोनों के मंत्रियों को प्रत्यक्ष रूप से तैयारियों में शामिल होना चाहिए ताकि अवांछित घटनाओं को रोका जा सके खासतौर पर सौराष्ट्र के गिर सोमनाथ, पोरबंदर, जूनागढ़, जामनगर और कच्छ जिलों में जहां पर चक्रवात के सबसे गंभीर असर होने की उम्मीद थी।
चक्रवात ने गुजरात के आठ तटीय जिलों को प्रभावित किया। अधिकारी ने बताया कि आश्रय गृहों में 707 बच्चों का जन्म हुआ है।
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