मध्य रिज के अंदर कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाए : दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 04 सितंबर:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को निर्देश दिया कि मालचा महल के चारों ओर चारदीवारी बनाने सहित कोई भी निर्माण कार्य राष्ट्रीय राजधानी के मध्य रिज वन क्षेत्र में नहीं किया जाए. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने तुगलक काल के स्मारक के चारों ओर चारदीवारी का निर्माण करने के अलावा शौचालय बनाये जाने के बारे में मीडिया में आई एक खबर पर संज्ञान लेते हुए कहा कि मध्य रिज में कंक्रीट का ढांचा नहीं बनाया जा सकता. न्यायाधीश ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार से एक विस्तृत हलफनामा मांगा और आदेश दिया, ‘‘फिलहाल यह निर्देश दिया जाता है कि अभी मध्य रिज में कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाए...’’

राष्ट्रीय राजधानी का फेफड़ा कहे जाने वाला रिज दिल्ली में अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार है और यह पथरीला तथा वन क्षेत्र है. इसे प्रशासनिक कारणों से चार हिस्सों --दक्षिण, दक्षिण-मध्य, मध्य और उत्तर--में बांटा गया है। चारों क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल करीब 7,784 हेक्टेयर है. पौधारोपण और हरित कवर के मुद्दों से जुड़े एक अवमानना मामले में अदालत के न्यायमित्र नियुक्त किये गए अधिवक्ताओं गौतम नारायण और आदित्य एन प्रसाद ने न्यायमूर्ति सिंह को मध्य रिज में स्मारक के चारों ओर चारदीवारी के प्रस्तावित निर्माण के बारे में मीडिया में आई खबर से अवगत कराया. दिल्ली सरकार के वकील ने दलील दी कि मालचा महल एक संरक्षित स्मारक है, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत नहीं आता है और इसलिए इसके चारों ओर दीवार बनाने का प्रस्ताव है.

अदालत ने यह उल्लेख किया कि मध्य रिज एक संरक्षित क्षेत्र है, जो न केवल साफ हवा का स्रोत है बल्कि लू, राजस्थान की ओर से आने वाली धूल भरी आंधी और शुष्क गर्म हवा के खिलाफ अवरोधक का भी काम करता है. अदालत ने कहा कि स्मारक का संरक्षण जरूरी है लेकिन उस तरीके से नहीं किया जा सकता, जो प्रस्तावित है. अदालत ने कहा, ‘‘मुद्दे पर विचार किये जाने की जरूरत है. फिलहाल, मेरा मानना है कि मध्य रिज में क्रंकीट का ढांचा नहीं बनाया जा सकता. स्मारक का संरक्षण जरूरी है, लेकिन 25 मीटर की चारदीवारी के जरिये या शौचालयों का निर्माण कर नहीं.’’ इस विषय पर अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी.

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