देश की खबरें | एनआईए, महाराष्ट्र सरकार ने एल्गार परिषद के आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध किया; फैसला सुरक्षित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराष्ट्र सरकार के साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के कुछ आरोपियों द्वारा तकनीकी आधार पर (डिफ़ॉल्ट) जमानत के लिए बंबई उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं का बुधवार को विरोध किया।

मुंबई, एक सितंबर महाराष्ट्र सरकार के साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के कुछ आरोपियों द्वारा तकनीकी आधार पर (डिफ़ॉल्ट) जमानत के लिए बंबई उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं का बुधवार को विरोध किया।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें खत्म होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फरेरा ने पुणे सत्र अदालत के अधिकार को चुनौती दी और इस तकनीकी आधार पर जमानत मांगी। पुणे की अदालत ने 2019 में आरोप पत्र का संज्ञान लिया था।

धवले के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप पसबोला ने बुधवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार की पीठ से कहा कि आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत 'अनुसूचित अपराधों' के लिए मामला दर्ज किया गया है, इसलिए केवल विशेष अदालत ही मामले की सुनवाई कर सकती है, कोई सामान्य सत्र अदालत नहीं।

दूसरी ओर, राज्य सरकार के वकील, महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने दलील दी कि सितंबर 2018 में पुणे की अदालत ने पुणे पुलिस (जिसने शुरू में मामले की जांच की थी) को आरोपपत्र दायर करने के लिए 90 दिनों का अतिरिक्त समय दिया था। उन्होंने कहा कि आरोपपत्र उस अवधि के भीतर ही दायर किया गया था, इसलिए आरोपी ‘डिफ़ॉल्ट’ जमानत के हकदार नहीं हैं।

एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने भी यही दलील दी।

पसबोला ने कहा कि एनआईए की दलील है कि जनवरी 2020 में केंद्रीय एजेंसी द्वारा मामले को अपने हाथ में लिए जाने के बाद ही इसे किसी विशेष अदालत के सामने जाना चाहिए था।

इसके बाद पीठ ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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