नयी दिल्ली, नौ जून उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) विशेष रूप से कोविड-19 के मौजूदा संकट के दौरान बंधुआ मजदूरों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए दिशा-निर्देश बनाने पर विचार कर सकता है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस याचिका में आरोप लगाया गया कि उत्तरप्रदेश और बिहार में संबंधित प्राधिकार इन राज्यों में ईंट भट्ठों पर बंधुआ मजदूरी के शिकार हुए 187 लोगों को त्वरित सहायता पहुंचाने में नाकाम रहे हैं ।
याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि एनएचआरसी मुद्दे पर आदेश जारी कर चुका है। याचिकाकर्ता को आगे निर्देश लेने के लिए आयोग का रुख करने को कहा गया।
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पीठ ने कहा, ‘‘एनएचआरसी बंधुआ मजदूरों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार कर सकता है।’’
शीर्ष न्यायालय ने याचिका पर तीन जून को उत्तर प्रदेश और बिहार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
सामाजिक कार्यकर्ता जाहिद हुसैन ने इन राज्यों में विभिन्न ईंट भट्ठों पर रह रहे बंधुआ मजदूरों को तुरंत मुक्त कराने और पुनर्वास के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था। याचिका में कहा गया था कि बंधुआ मजदूरों में गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी हैं ।
वकील सृष्टि अग्निहोत्री के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया था कि इस साल 11 मई को एनएचआरसी ने इस मुद्दे पर मिली शिकायतों का संज्ञान लिया और उत्तरप्रदेश में संभल और बिहार में रोहतास के जिला प्रशासन को वहां जाकर मुआइना करने और 15 दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान दोनों राज्यों की ओर से पेश वकीलों ने मामले में की गयी कार्रवाई से पीठ को अवगत कराया ।
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