बरेली, 18 जुलाई उत्तर प्रदेश के मुस्लिम धर्म गुरुओं ने ईरानी फिल्म ‘मोहम्मद : द मैसेंजर ऑफ गॉड’’ के डिजिटल रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए दावा किया है कि इसका प्रसारण ‘‘इस्लाम की तौहीन होगी।’’
उनका कहना है कि यह फिल्म भारत में रिलीज ना हो, यह सुनिश्चित करने के लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे।
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पैगम्बर मोहम्मद के जीवन पर आधारित यह फिल्म सबसे पहले 2015 में रिलीज हुई थी।
अखिल भारतीय तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन का कहना है कि इस्लाम का प्रचार प्रसार धार्मिक संस्थाएं करती हैं और इसके लिए फिल्म की जरुरत नहीं है।
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उन्होंने ज्यादा विस्तृत जानकारी दिए बगैर कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करने के लिए कि फिल्म भारत में रिलीज ना हो, मौलानाओं का एक शिष्ट मंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेगा। प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा जाएगा। हमें आशा है कि एक बार इस फिल्म के बारे में उन तक सूचना पहुंच जाएगी तो, रिलीज रूक जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में हमने तय किया था कि फिल्म का खुल कर विरोध नहीं करेंगे। भारत में ट्रेंड यह है कि अगर फिल्म का विरोध करो तो वह हिट हो जाती है। लेकिन अब हालात अलग हैं। मुसलमानों में बहुत गुस्सा है। इस फिल्म का प्रसारण इस्लाम की तौहीन होगी ।’’
बरेली के शहर इमाम खुर्शीद आलम भी कुछ ऐसे ही विचार रखते हैं।
उनका कहना है, ‘‘एक मुसलमान कुछ भी बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन हजरत मोहम्मद साहब के सम्मान पर आंच आना नहीं। केन्द्र को इस फिल्म के रिलीज की अनुमति नहीं देनी चाहिए ताकि शांति बनी रहे और माहौल खराब ना हो।’’
फिल्म ‘मोहम्मद : द मैसेंजर ऑफ गॉड’’ 21 जुलाई को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज होनी है।
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