देश की खबरें | एमयूडीए प्रकरण: उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अपील पर सरकार को जारी किया नोटिस
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बेंगलुरु, पांच दिसंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले में एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा दायर की गयी याचिका पर बृहस्पतिवार को राज्य सरकार एवं अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।
राज्यपाल ने इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच की मंजूरी दी थी जिस पर एकल पीठ ने मुहर लगायी थी।
मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति के वी अरविंद की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 25 जनवरी, 2025 तय की।
मुख्यमंत्री ने 24 अक्टूबर को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के सामने अपील दायर कर एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले को चुनौती दी थी। एकल न्यायाधीश का फैसला मुख्यमंत्री के लिए झटका समझा जा रहा था।
सिद्धरमैया मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा उनकी पत्नी पार्वती एम बी को किये गये 14 भूखंडों के आवंटन में अनियिमतता के आरोपों से जूझ रहे हैं।
राज्य की ओर से खंडपीठ के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री के विरूद्ध ऐसी मंजूरी देने का संवैधानिक हक नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘ राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का अधिकार नहीं है। यह एक बड़ा संवैधानिक मुद्दा है।’’
सिद्धरमैया का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि इस मंजूरी से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए का उल्लंघन हुआ है, जिसके तहत पुलिस अधिकारी द्वारा प्रारंभिक जांच आवश्यक है।
उन्होंने कहा, ‘‘... राज्यपाल सदैव मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे होते हैं। राज्यपाल केवल तभी हस्तक्षेप कर सकते हैं जब मंत्रिपरिषद की सलाह में अवैधता स्पष्ट नजर आये।’’
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने 24 सितंबर को मुख्यमंत्री की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने इस मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को चुनौती दी थी। पीठ ने कहा था कि राज्यपाल के आदेश में कहीं भी ‘‘विवेक का अभाव नहीं है।’’
उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश के बाद अगले ही दिन यहां एक विशेष अदालत ने सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश दिया था और 24 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
विशेष अदालत के आदेश के बाद सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू को मैसुरू की लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी में नामजद किया गया है। स्वामी ने देवराजू से एक जमीन खरीदकर उसे पार्वती को भेंट की थी।
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की और मामले की जांच भी कर रही है।
एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले में आरोप लगाया गया है कि प्राधिकरण ने पार्वती की जो जमीन अधिग्रहीत की थी उसके बदले उसने उन्हें मैसूर के एक पॉश इलाके (विजयनगर लेआउट तीसरे और चौथे चरण) में जो भूखंड दिये थे, वे चौदह भूखंड प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत की गयी उनकी जमीन की तुलना में काफी अधिक मूल्य के हैं।
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