देश की खबरें | धनशोधन मामला: मुख्यमंत्री केजरीवाल की न्यायिक हिरासत तीन जुलाई तक बढ़ाई गई
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नयी दिल्ली, 19 जून दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को कथित आबकारी घोटाले से जुड़े एक धन शोधन मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत की अवधि तीन जुलाई तक बढ़ा दी।
आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक केजरीवाल को, उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने पर आज वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश किया गया। इस दौरान विशेष न्यायाधीश न्याय बिंदु ने उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि तीन जुलाई तक बढ़ा दी।
अदालत में सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश अधिवक्ता ने उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाने की प्रवर्तन निदेशालय की याचिका विरोध करते हुए कहा कि उनकी हिरासत बढ़ाने का कोई आधार नहीं है।
न्यायाधीश ने इस मामले में केजरीवाल द्वारा दिये गये जमानत आवेदन पर भी दलीलें सुनीं। न्यायाधीश बृहस्पतिवार को भी इस आवेदन पर दलीलें सुनेंगे।
अदालत में जिरह के दौरान केजरीवाल के वकील ने अदालत से कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ पूरा मामला बयानों पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये बयान उन लोगों के हैं जिन्होंने खुद को दोषी माना है। वे संत तो नहीं हैं। वे ऐसे लोग नहीं हैं जो बस दागदार ही हैं बल्कि ऐसा लगता है कि उनमें से कुछ को गिरफ्तार किया गया, उनसे जमानत देने और माफ कर देने का वादा किया गया। सरकारी गवाह। एक अन्य श्रेणी है जिन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।’’
उन्होंने कहा कि सह आरोपियों के बयानों में कई अंतर्विरोध हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि खामियों को दूर करने के लिए कोई अन्य बयान रिकार्ड कर लिया जाए तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा। यही वह प्रक्रिया है, जिसका वे पालन करते हैं। जांच हमेशा अंतहीन है। जब भी उनकी मर्जी होती है वे किसी को फंसा देते हैं। यह उत्पीड़न का सबसे बड़ा औजार है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय को जब संतुष्टि हो गयी कि ऐसी कोई आशंका नहीं है कि केजरीवाल इंसाफ से भाग जायेंगे या गवाहों को प्रभावित करेंगे तब उन्हें अंतरिम जमानत दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि भी नहीं है।
ईडी ने यह कहते हुए विरोध किया कि ‘बस इतनी काफी नहीं है कि आपकी कोई पृष्ठभूमि नहीं है।’’
जांच एजेंसी ने कहा, ‘‘ ..... यह कि मैं संवैधानिक पद पर हूं, पीएमएलए के तहत जमानत देने के लिए प्रासंगिक नहीं है। यह जमानत से इनकार करने के लिए अतिरिक्त कारक हो सकता है, यहां जो प्रासंगिक कारक है कि वह यह है कि वह दोषी हैं या नहीं।’’
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