Bhagavad Gita In NCERT Textbooks: मोदी सरकार का बड़ा कदम, अब बच्चों को पढाई जायेगी श्रीमद भगवद गीता, स्वतंत्रता सेनानियों पर भी होगा सबक
सरकार ने संसद की एक समिति को बताया कि आठवीं, दसवीं एवं बारहवीं कक्षा की एनसीईआरटी की वर्तमान पाठ्य पुस्तकों में घटना उन्मुख दृष्टिकोण को अपनाकर स्वतंत्रता सेनानियों को चित्रित किया गया है. साथ ही सरकार ने उन्हें गलत तरीके से चित्रित किए जाने से भी इंकार किया.
Bhagavad Gita: सरकार ने संसद की एक समिति को बताया कि आठवीं, दसवीं एवं बारहवीं कक्षा की एनसीईआरटी की वर्तमान पाठ्य पुस्तकों में घटना उन्मुख दृष्टिकोण को अपनाकर स्वतंत्रता सेनानियों को चित्रित किया गया है. साथ ही सरकार ने उन्हें गलत तरीके से चित्रित किए जाने से भी इंकार किया. संसदीय समिति ने हालांकि शिक्षा मंत्रालय के इस उत्तर को स्वीकार नहीं किया . समिति ने कहा कि उसका विचार है कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के समन्वय से विभाग को अनेक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को पाठ्यपुस्तकों में समान महत्व के साथ शामिल करना चाहिए.
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में छठी और सातवीं कक्षा में श्रीमद भगवद गीता के संदर्भ और ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा की संस्कृत पाठ्यपुस्तकों में इसके श्लोकों को शामिल किया गया है, लोकसभा को सोमवार को सूचित किया गया
राज्यसभा में 19 दिसंबर को पेश ‘स्कूली पाठ्यपुस्तकों की विषयवस्तु और डिजाइन में सुधार’ विषय पर शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति के 331वें प्रतिवेदन की सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट में यह बात कही गई है. भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर की अध्यक्षता वाली समिति ने चर्चा के दौरान गौर किया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई ऐतिहासिक शख्सियतों और स्वतंत्रता सेनानियों को अपराधियों के रूप में गलत तरीके से चित्रित किया गया है. इसलिये उसका विचार है कि इस गलती को ठीक किया जाना चाहिए और उन्हें हमारी इतिहास की पुस्तक में उचित सम्मान दिया जाना चाहिए . यह भी पढ़ें : Rajya Sabha: पीयूष गोयल ने की राज्यसभा में खड़गे से माफी मांगने की मांग
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह भी कहा कि अहिल्याबाई होल्कर, अबला बोस, आनंदी गोपाल जोशी, अनसूया साराभाई, आरती साहा, अरूणा आसफ अली, कनकलता डेका, रानी मां गोडिन्यू, असीमा चटर्जी, कैप्टन प्रेम माथुर, चंद्रप्रभा सैकिनी, के सोराबजी, दुर्गावती देवी, जानकी अम्माल, महाश्वेता देवी, कल्पना चावला, कमलादेवी चटोपाध्याय, कित्तूर चेन्नमा, एस एस सुबलक्ष्मी, मैडम भीकाजी कामा, रूक्मिणी देवी अरूंडेल, सावित्रीबाई फुले और कई अन्य उल्लेखनीय महिलाओं और उनके योगदान का एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में वर्णन नहीं किया गया है. इस पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने समिति को सूचित किया कि उपर्युक्त कुछ व्यक्तियों का उल्लेख एनसीईआरटी की इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में किया गया है और अन्य का उल्लेख पूरक सामग्री के रूप में किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति का मानना है कि उन प्रमुख महिला हस्तियों को पूरक सामग्री के बजाए एनसीईआरटी की नियमित पुस्तकों में स्थान मिलना चाहिए ताकि यह अनिवार्य पठन सामग्री बने .
समिति ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) के हिस्से के रूप में सिख एवं मराठा इतिहास का पर्याप्त प्रस्तुतीकरण सुनिश्चित किया जाए . रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों पर जोर देती है तथा पर्यावरण, शांति, लिंग, सीमांत समुदायों से संबंधित चिंताओं का समाधान किया जाता है. एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में बाल विवाह, बच्चों का पालन पोषण और देखभल जैसी प्रथाओं पर प्रकाश डाला गया है लेकिन फिर भी उनकी पाठ्यपुस्तकों में लिंग सरोकारों के अधिक एकीकरण की जरूरत है.