देश की खबरें | पेरिस में निराश करने से पहले पदक के करीब पहुंची थी मीराबाई
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नयी दिल्ली, 12 अगस्त मीराबाई चानू का लगातार दूसरा ओलंपिक पदक जीतना हमेशा से ही उनकी उम्र और चोटों कारण एक चुनौतीपूर्ण काम था लेकिन यह असंभव नहीं था।
हालांकि स्टार भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई ने पेरिस में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से काफी कमतर वजन उठाकर अपनी राह मुश्किल की और चौथे स्थान पर रहकर पदक से चूक गईं।
तीन साल पहले तोक्यो में रजत पदक जीतकर देश की इस शीर्ष भारोत्तोलक ने इस खेल में भारत के ओलंपिक पदक के 21 साल के इंतजार को खत्म कर दिया था लेकिन पिछले हफ्ते फ्रांस की राजधानी में मीराबाई ने अपने छह में से तीन प्रयास में फाउल किया जिसमें से दो क्लीन एवं जर्क वर्ग में आए जिसे उनका मजबूत पक्ष माना जाता है।
पूर्व विश्व चैंपियन मीराबाई ने साउथ पेरिस एरेना में स्नैच में 88 किग्रा वजन उठाकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए खुद को तीसरे स्थान पर रखा।
मीराबाई का क्लीन एवं जर्क में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चीन की होउ झिहुई के बाद दूसरे स्थान पर था और रोमानिया की मिहाइला कैम्बेई तथा थाईलैंड की सुरोदचाना खंबाओ से काफी अधिक था जिससे उम्मीद थी कि मीराबाई एक बार फिर रजत पदक हासिल करेंगी।
मीराबाई का क्लीन एवं जर्क में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 119 किग्रा है लेकिन उन्होंने अपने तीसरे और अंतिम प्रयास में 114 किग्रा वजन उठाने का विकल्प चुना जिससे उन्हें कांस्य पदक मिल सकता था।
राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा ने हमेशा कहा है कि स्वर्ण जीतने के लिए कुल 205-206 किग्रा भार उठाने की आवश्यकता होती है और वे इसे हासिल करने के लिए ट्रेनिंग कर रहे थे। उनकी गणना सही थी लेकिन मीराबाई रणनीति को सही तरह से अंजाम नहीं दे पाई।
मीराबाई ने कुल 199 किग्रा वजन उठाया जो कांस्य जीतने वाली थाईलैंड की भारोत्तोलक के प्रयास से सिर्फ एक किलोग्राम कम था।
अगर मीराबाई ने क्लीन एवं जर्क में भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया होता तो वह आज ओलंपिक चैंपियन हो सकती थीं।
चानू ने क्लीन एवं जर्क में विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के बाद बढ़ते हुए मनोबल के साथ तोक्यो खेलों में प्रवेश किया था लेकिन पेरिस खेलों से पहले अपने आखिरी टूर्नामेंट वह 184 किग्रा (81 किग्रा और 103 किग्रा) वजन ही उठा सकीं जो कई वर्षों में उनका खराब प्रदर्शन था।
तोक्यो और पेरिस ओलंपिक के बीच तीन वर्षों में उन्होंने केवल पांच टूर्नामेंट में हिस्सा लिया।
खेल मंत्रालय ने पेरिस ओलंपिक चक्र में उन पर दो करोड़ 74 लाख रुपये खर्च किए जिसमें उन्हें मई 2023 में अमेरिका में पूर्व भारोत्तोलक से फिजिकल थेरेपिस्ट और स्ट्रेंथ एवं अनुकूलन कोच बने डॉ. आरोन होर्शिग के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग के लिए भेजना भी शामिल है।
होर्शिग की सेवा ओलंपिक पूर्व ट्रेनिंग शिविर के लिए भी ली गई।
मीराबाई के लिए यह ओलंपिक चक्र चोटों से भरा रहा है। वह पेरिस में प्रतिस्पर्धा के ठीक एक दिन बाद 30 वर्ष की हो गईं।
विश्व चैंपियनशिप 2023 के दौरान उन्हें कलाई में चोट लग गई थी लेकिन फिर भी वह रजत पदक जीतने में सफल रहीं। उन्होंने इसके बाद 2023 एशियाई चैंपियनशिप में हिस्सा लिया जिसमें वह पांचवें स्थान पर रहीं।
इसके बाद मीराबाई 2023 एशियाई खेलों में वापस लौटीं लेकिन कूल्हे की चोट से परेशान रहीं। अपने शरीर के वजन से दोगुना वजन उठाने के तनाव और चोटों ने मीराबाई पर असर डाला है।
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