देश की खबरें | मालेगांव विस्फोट: एक और गवाह बयान से पलटा, एटीएस पर लगाया आरोप
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के एक गवाह ने बृहस्पतिवार को यहां निचली अदालत में दावा किया कि महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने जांच के दौरान उसे प्रताड़ित किया गया और उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया।
मुंबई, तीन फरवरी वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के एक गवाह ने बृहस्पतिवार को यहां निचली अदालत में दावा किया कि महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने जांच के दौरान उसे प्रताड़ित किया गया और उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश पी आर सित्रे के समक्ष गवाह ने कहा कि उसने एटीएस को अपनी मर्जी से बयान नहीं दिया था।
मामले में अब तक अभियोजन पक्ष के 222 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें से 17 मुकर गए। मुकरने वाले इन गवाहों ने अभियोजन के मामले का समर्थन करने से इनकार कर दिया।
गवाह ने बृहस्पतिवार को अदालत को बताया कि शुरुआत में मामले की जांच करने वाले एटीएस ने उसे कई बार हिरासत में लिया और उसे प्रताड़ित किया गया। गवाह ने आरोप लगाया कि एटीएस अधिकारियों ने उसे आरएसएस और उसके नेताओं का नाम लेने के लिए मजबूर किया। गवाह ने कहा कि वह आरएसएस का सदस्य नहीं था और न ही वह आरएसएस के किसी पदाधिकारी का नाम जानता था।
इससे पहले, अभियोजन पक्ष के एक अन्य गवाह ने अदालत को बताया था कि एटीएस ने उसे योगी आदित्यनाथ (अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) और आरएसएस के चार नेताओं का नाम लेने के लिए मजबूर किया।
उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल से बंधे एक विस्फोटक उपकरण के फटने से छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए।
मामले के आरोपियों में भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं।
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