Maharashtra: मनोज जरांगे के गांव में पथराव के बाद दो लोग हिरासत में लिए गए
मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के महाराष्ट्र के बीड जिले स्थित गांव में कुछ लोगों द्वारा नारेबाजी और पथराव किए जाने के मामले में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है और 15-20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), 28 जून : मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के महाराष्ट्र के बीड जिले स्थित गांव में कुछ लोगों द्वारा नारेबाजी और पथराव किए जाने के मामले में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है और 15-20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
अधिकारी ने बताया कि मटोरी गांव में यह घटना बृहस्पतिवार रात को हुई, जिसके बाद इलाके में शांति बनाए रखने के लिए राज्य रिजर्व पुलिस बल की एक टुकड़ी को वहां तैनात किया गया. उन्होंने बताया कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के आंदोलनकारियों लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे की रैली में भाग लेने के लिए आसपास के गांवों के कुछ लोग रात में आठ बजे के आसपास मटोरी गांव से गुजर रहे थे, तभी वहां कुछ लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद बस अड्डे के पास पथराव हुआ. यह भी पढ़ें :Pilgrimage to Amarnaath: कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू से पहला जत्था रवाना
उन्होंने कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किसने नारेबाजी शुरू की और किसने पथराव किया. अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद इलाके में बढ़ते तनाव के बीच पुलिस ने हस्तक्षेप किया और दो लोगों को हिरासत में लिया. उन्होंने बताया कि बीड जिले के चकलांबा पुलिस थाने में 15-20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि मटोरी गांव में स्थिति नियंत्रण में है. राज्य में मराठा आरक्षण मुद्दे को केंद्र में लाने वाले जरांगे कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सगे सोयरे’ (रक्त संबंधी) के तौर पर मान्यता देने वाली मसौदा अधिसूचना को लागू करने की मांग कर रहे हैं.
कुनबी कृषक समुदाय है और ओबीसी के अंतर्गत आता है. जरांगे की मांग है कि कुनबी का प्रमाणपत्र मराठा समुदाय के सभी सदस्यों को जारी किया जाए ताकि उन्हें भी आरक्षण का लाभ प्राप्त करने की अर्हता मिल सके. ओबीसी कार्यकर्ता हाके और वाघमारे ने मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की जरांगे की मांग का विरोध किया है और कहा है कि राज्य सरकार को ऐसा कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए जिससे ओबीसी प्रभावित हो. मनोज जरांगे ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार पर मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश का आरोप लगाया था.