देश की खबरें | महाराष्ट्र: अधिकरण ने दो भाइयों के झूठे दुर्घटना दावे को खारिज किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. ठाणे मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) ने दो भाइयों की ओर से दायर एक झूठे दुर्घटना दावे को खारिज कर दिया। साथ ही, दावा करने में याचिकाकर्ता का सहयोग करने वाले एक ऑटोरिक्शा चालक तथा दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।
ठाणे(महाराष्ट्र), नौ अक्टूबर ठाणे मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) ने दो भाइयों की ओर से दायर एक झूठे दुर्घटना दावे को खारिज कर दिया। साथ ही, दावा करने में याचिकाकर्ता का सहयोग करने वाले एक ऑटोरिक्शा चालक तथा दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।
एमएसीटी के सदस्य एचएम भोसले ने छह अक्टूबर को दिये गये अपने आदेश में दोनों भाइयों (अविनाश अर्जुन चिखाले और देवेश अर्जुन चिखाले) पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
दोनों भाइयों ने अपनी याचिका में अधिकरण को सूचित किया था कि एक सितंबर, 2017 को वे मोटरसाइकिल पर सवार होकर साखेलवाड़ी से महाराष्ट्र के पालघर जिले के विरार कस्बा स्थित अपने घर लौट रहे थे। इसमें कहा गया कि पनवेल कस्बे में आप्टागांव के पास विपरीत दिशा से आ रहे एक ऑटोरिक्शा ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दिया, जिससे दोनों भाई गिर गए और घायल हो गये।
इसके बाद दोनों भाइयों ने इलाज के खर्च और चोट लगने को लेकर मुआवजे का दावा किया। दोनों ने अधिकरण को बताया कि वे नौकरी कर रहे थे। अविनाश की उम्र उस समय 19 और उसकी मासिक आय 8,000 रुपये तथा देवेश (23) की प्रति माह आय 12 हजार रुपये बताई गई।
इस मामले में वाहन के बीमाकर्ता और ऑटोरिक्शा के मालिक को प्रतिवादी बनाया गया। ऑटोरिक्शा मालिक इस मामले में अधिकरण के समक्ष पेश नहीं हुआ, इसलिए फैसला एकतरफा आधार पर सुनाया गया।
वहीं, बीमाकर्ता कंपनी ने अधिकरण को बताया कि लाभ पाने के लिए ऑटोरिक्शा को ‘गलत तरीके’ से इस मामले में शामिल किया गया। यह दलील दी गई कि अविनाश द्वारा पुलिस को दिये गये बयान के मुताबिक किसी अज्ञात वाहन ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मारी थी, इसलिए यह ‘हिट एंड रन’ का मामला है।
यह भी कहा गया कि घटना के 112 दिन बाद प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अधिकरण ने कहा कि याचिकाकर्ता मुआवजा पाने के अधिकारी नहीं हैं और उनके दावे को खारिज किया जाता है।
एमएसीटी ने याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना इसलिए लगाया कि उन्हें इस तरह का झूठा दावा अधिकरण के समक्ष नहीं करना चाहिए था।
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