देश की खबरें | महाराष्ट्र में दोहरे हत्याकांड के दोषी की मौत की सजा अदालत ने आजीवन करावास में बदली

मुंबई, 10 अक्टूबर बम्बई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दोहरे हत्याकांड के मामले में एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन उसे सुनायी गयी मौत की सजा को यह कह कर आजीवन कारावास में बदल दिया कि यह मामला दुर्लभतम नहीं है।

मुंबई में 2017 में एक किशोरी और दो साल की बच्ची को जलाकर मार डालने के मामले में सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे एवं न्यायमूर्ति श्याम चांडक की पीठ ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है।

पीठ ने कहा कि वह आरोपी दीपक जाट की दोषसिद्धि को बरकरार रखती है, लेकिन उसे सुनाई गई मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल रही है।

अदालत ने कहा, ‘‘हमने माना है कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है। इस मामले में मौत की सजा ही एकमात्र सजा नहीं है।’’

मामले की सुनवाई कर रही सत्र अदालत ने 2023 में दोषी को यह कहते हुये मौत की सजा सुनायी थी कि दीपक जाट ने जो अपराध किया है वह दुर्लभतम श्रेणी में आता है।

अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि अप्रैल 2017 में, जाट ने दो और 17 साल की दो लड़कियों पर कुछ तरल पदार्थ डाला और उन्हें आग के हवाले कर दिया। जलने के कारण दोनों की मौत हो गई। यह घटना बांद्रा इलाके की है।

आरोप है कि जाट ने किशोरी के साथ छेड़छाड़ की थी और जब उसे इसके लिए डांटा गया तो वह नाराज हो गया था।

जाट ने अपने बचाव में यह दावा किया कि वह दोनों लड़कियों से नाराज था क्योंकि उन्होंने उसे ‘हिजड़ा और छक्का’ (ट्रांसजेंडर) कहा था।

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