कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में मदद कर रहा लॉकडाउन, लेकिन और अधिक जांचें करने की जरूरत: सरकार
जमात

नयी दिल्ली, 23 अप्रैल सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिली है और बीते दस दिन में रोगियों के ठीक होने की दर लगभग दोगुनी हुई है। हालांकि सरकार ने कहा कि महामारी से निपटने के लिये जांच की गति बढ़ाने की जरूरत है।

इस बीच देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की तादाद 21 हजार 700 हो गई है, जिनमें से अबतक 686 लोगों की मौत हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को लॉकडाउन के 30 दिन पूरे हो गये। ऐसे में आर्थिक नुकसान को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ ने लॉकडाउन लंबा चलने पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.9 फीसदी की गिरावट की आशंका जतायी है। साथ कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर अधिकतम 1.5 प्रतिशत रह सकती है। इसके अलावा रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाते हुए इसे 0.8 प्रतिशत कर दिया।

केंद्रीय गृह सचिव और उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के उनके समकक्ष सहित शीर्ष नौकरशाहों के एक उच्च-स्तरीय समूह ने आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों को गति देने के उपायों की समीक्षा की और उद्योग संघों के प्रतिनिधियों के साथ एक वीडियो सम्मेलन आयोजित किया।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शाम को कोविड-19 पर जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि देश में कोरोना वायरस से 21 हजार 700 लोग संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से 686 लोगों की मौत हो चुकी है।

मंत्रालय ने बताया कि 4,324 लोगों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई है। अबतक पांच लाख से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है।

महाराष्ट्र में अबतक 5,600 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से कम से कम 269 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं गुजरात में 2,400 लोग संक्रमित पाए गए हैं और 100 से अधिक लोग दम तोड़ चुके हैं। दिल्ली में कोरोना वायरस 2,200 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है, जिनमें से 48 लोगों को जान जा चुकी है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलाडु से भी बड़ी संख्या में मामले सामने आए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि 14 अप्रैल को रोगियों के ठीक होने की दर 9.99 प्रतिशत थी जो तेजी से सुधार के साथ 19.89 हो गई है। इसके अलावा 12 जिले ऐसे हैं, जिनमें बीते 28 दिनों के दौरान एक भी मामला सामने नहीं आया।

वहीं, कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिये सरकार द्वारा गठित वरिष्ठ अधिकारियों के समूह की अध्यक्षता कर रहे पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पिछले 30 दिनों में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से उछाल दर्ज नहीं किया गया, बल्कि मरीजों की संख्या, अन्य देशों की तुलना में धीमी गति से बढ़ी है। मिश्रा ने कहा कि संक्रमण के परीक्षण की गति भी लगातार बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि संक्रमण फैलने की गति और संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि की गति में निरंतर गिरावट आ रही है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि महामारी के प्रकोप में वृद्धि की गति स्थिर बनी हुयी है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश में 22 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ पर अमल के बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च से 21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन घोषित किया था। बाद में इसकी अवधि को तीन मई तक के लिये बढ़ा दिया गया।

मिश्रा ने लॉकडाउन की अवधि में इस महामारी को रोकने के लिये किये गये उपायों और इनसे हुये लाभ का ब्योरा देते हुये बताया कि 23 मार्च तक किये गये कुल परीक्षण में 4.5 प्रतिशत संक्रमित मरीज थे और 22 अप्रैल को भी कुल परीक्षण में संक्रमित मरीजों की हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि देश में वायरस के संक्रमण के प्रसार की दर स्थिर बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान दूसरी उपलब्धि संक्रमण के परीक्षण को बढ़ाना और तीसरी उपलब्धि वायरस के अचानक फैलने की स्थिति में इलाज के सभी जरूरी संसाधनों का इंतजाम करना रही।

मिश्रा ने बताया कि 23 मार्च तक देश में कोरोना वायरस के कुल 14915 परीक्षण किये गये थे, और 22 अप्रैल को यह संख्या पांच लाख को पार कर गयी है। मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद परीक्षण में 33 गुना वृद्धि हुई और संक्रमित मरीजों की संख्या 25 मार्च को 606 मरीज थी जो बढ़कर 23 अप्रैल को 21 हजार से अधिक हो गयी।

उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों के बाद भी वायरस की चुनौती को देखते हुये सरकार के प्रयास निरंतर व्यापक हो रहे हैं। इसके तहत स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार देने के लिये कोविड-19 अस्पतालों की संख्या में 3.5 गुना इजाफा हुआ और संक्रमित अथवा संदिग्ध मरीजों के लिये अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या 3.6 गुना बढ़ी है। इसके अलावा भविष्य में किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिये व्यापक पैमाने पर स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवियों की तैनाती का भी इंजताम किया जा रहा है।

मिश्रा ने कहा कि सरकार की तैयारियों का पहला मकसद है कि लॉकडाउन के पालन से किसी को अव्वल तो अस्पताल ही न आना पड़े और जो अस्पताल पहुंचते भी हैं उन्हें उपयुक्त इलाज और देखभाल मिले ताकि मृत्युदर को न्यूनतम किया जा सके।

उन्होंने कहा कि अमेरिका, इटली, ब्रिटेन सहित अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में संक्रमण की वर्तमान स्थिति संतोषजनक है। मिश्रा ने इसे लॉकडाउन के लिहाज से अहम उपलब्धि बताते हुये कहा, ‘‘इन 30 दिनों में हम वायरस को फैलने से रोकने और इसके संक्रमण के खतरे को न्यूनतम करने में कामयाब रहे।

मिश्रा ने कहा कि महामारी के बढ़ने के खतरे से निपटने के लिये पिछले एक महीने में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और इलाज की खोज सहित अन्य मोर्चों पर महत्वपूर्ण कार्य किये गये। उन्होंने बताया कि इसके तहत पिछले एक महीने में कोविड-19 के लिए निर्धारित अस्पतालों की संख्या 3773 हो गयी है, जबकि पृथक बिस्तरों की संख्या बढ़ कर 1.94 लाख हो गयी है।

इस बीच दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देशव्यापी अभियान में अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के रूप में कार्यरत चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सख्त कानूनी प्रावधानों वाला अध्यादेश जारी करने के लिये चिकित्सकों की ओर से सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

डा. गुलेरिया ने संक्रमण के लक्षण उभरने के बाद भी संक्रमण की जांच के लिये मरीजों के देर से अस्पताल पहुंचने पर चिंता व्यक्त करते हुये देशवासियों से संक्रमण से बचने और दूसरों को बचाने के लिये अस्पताल तक पहुंचने में तत्परता दिखाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि परीक्षण के लिये अस्पताल तक पहुंचने में हो रही देरी, कोरोना वायरस के खिलाफ जंग की समयसीमा को बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि संक्रमित मरीजों में 80 प्रतिशत मरीज सामान्य लक्षणों वाले हैं और इनके स्वस्थ होने की दर भी 92 से 95 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि यथाशीघ्र परीक्षण और संक्रमण की पुष्टि, इलाज के सफल होने की संभावना को प्रबल बनाती है।

इस दौरान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के निदेशक डा. बलराम भार्गव ने कहा कि पिछले एक महीने में संक्रमण की पहचान के लिये देश में परीक्षण का दायरा तेजी से बढ़ा है। उन्होंने बताया कि देश में सरकारी और निजी क्षेत्र की कुल 325 प्रयोगशालायें कार्यरत है।

डा. भार्गव ने कहा कि कोरोना वायरस के इलाज और टीके की खोज से जुड़े वैज्ञानिक शोध भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इलाज की मौजूदा सभी विधियों को अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गैर कोविड मरीजों का इलाज भी सुचारु बना रहे, इसके भी पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं।

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