लंदन, 13 मई ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 2020 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर दो प्रतिशत प्रतिशत संकुचित हुई। यह स्पष्ट तौर पर कोरोना वायरस लॉकडाउन (बंद) के अर्थव्यवस्था पर असर को दिखाने वाला आंकड़ा है। वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद किसी तिमाही में यह देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी गिरावट है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) ने बुधवार को इस संबंध में आधिकारिक आंकड़े जारी किए।
ओएनएस ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का असर साफ दिखता है। मार्च में समाप्त तिमाही में लगभग सभी उप-क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गयी।’’
आंकड़ों के मुताबिक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अकेले मार्च में 5.8 प्रतिशत की गिरावट आयी। यह अब तक की सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। वहीं तिमाही आधार पर यह 2008 के आर्थिक संकट के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।
वर्ष 2019 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ब्रिटेन की आर्थिक वृद्धि दर शून्य रही थी, क्योंकि ब्रिटेन के सेवाक्षेत्र में रिकॉर्ड गिरावट देखी गयी थी।
ओएनएस के आंकड़ों के मुताबिक समीक्षावधि में देश के सेवा क्षेत्र में 1.9 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है जो कुल जीडीपी का करीब 80 प्रतिशत है। इस दौरान उत्पादन में 2.1 प्रतिशत और निर्माण में 2.6 प्रतिशत की गिरावट रही।
यह आंकड़े मंदी के रूख को दिखाते हैं, यदि दो तिमाहियों में लगातार यह गिरावट रहती है तो देश की अर्थव्यवस्था में मंदी होगी।
यह आंकड़े ब्रिटेन के भारतीय मूल के वित्त मंत्री ऋषि सुनक की कोरोना वायरस नौकरी संरक्षण योजना को अक्टूबर तक बढ़ाए जाने की घोषणा के एक दिन बाद आए हैं। इसके तहत कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा जा सकता है और सरकार इसके लिए अनुदान देगी। सुनक इंफोसिस के संस्थापक एन. नारायण मूर्ति के दामाद हैं।
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