नयी दिल्ली, 12 सितंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने उपभोक्ताओं की निजता को सुरक्षित रखने के लिए एक कानून की जरूरत पर बल देते हुए सोमवार को कहा कि इससे उपभोक्ताओं से संबंधित आंकड़ों का मौद्रीकरण जिम्मेदारी से कर पाना संभव होगा।
सरकार ने पिछले महीने निजी डेटा संरक्षण विधेयक को लोकसभा से वापस ले लिया था। उस समय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उम्मीद जताई थी कि संसद के बजट सत्र में डेटा संरक्षण का नया कानून पारित हो जाएगा।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर की एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटलीकरण की उच्च रफ्तार होने से भारत में अत्यधिक मात्रा में डेटा उपलब्ध है।
शंकर ने कहा, ‘‘आज के समय में डेटा का मतलब पैसा है। डेटा का मौद्रीकरण किया जा सकता है। लिहाजा कारोबार के लिए डेटा खासी अहमियत रखता है लेकिन उसी के साथ हमें नियम-कानून भी बनाने होंगे जो उपभोक्ताओं के निजी डेटा को सुरक्षित रखने के साथ इसके मौद्रीकरण को जिम्मेदारी से भी अंजाम देना संभव बना सके।’’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं से संबंधित जानकारियों का मौद्रीकरण एक हद तक उनकी सहमति से ही किया जाना चाहिए।
संसद से वापस लिए जा चुके निजी डेटा संरक्षण विधेयक में नागरिकों की सहमति के बगैर उनके व्यक्तिगत डेटा के इस्तेमाल पर पाबंदियां लगाने की बात कही गई थी। इसके अलावा इस विधेयक में डेटा संरक्षण प्राधिकरण बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया था।
प्रेम
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