जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में रहा बढ़त का रुख
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. बीते सप्ताह दिल्ली तेल तिलहन बाजार में खाद्यतेल कीमतों में तेजी का रुख देखने को मिला। घरेलू बाजार में खाद्यतेलों की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नरम करने के लिए सरकार द्वारा कुछ माह पूर्व सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल के शुल्क-मुक्त आयात को अनुमति देने के बावजूद समीक्षाधीन सप्ताह में तेल तिलहन की कीमतें मजबूत हो गयीं।
नयी दिल्ली, 18 सितंबर बीते सप्ताह दिल्ली तेल तिलहन बाजार में खाद्यतेल कीमतों में तेजी का रुख देखने को मिला। घरेलू बाजार में खाद्यतेलों की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नरम करने के लिए सरकार द्वारा कुछ माह पूर्व सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल के शुल्क-मुक्त आयात को अनुमति देने के बावजूद समीक्षाधीन सप्ताह में तेल तिलहन की कीमतें मजबूत हो गयीं।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेल कीमतों में गिरावट लाने और घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के मकसद से कुछ ही माह पूर्व सरकार ने केवल तेल प्रसंस्करणकर्ता कंपनियों को शुल्क-मुक्त आयात की छूट दी है और वे अगले दो साल तक 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का शुल्क-मुक्त आयात कर सकेंगे। यहां इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि 20 लाख टन सालाना शुल्कमुक्त आयात के हिसाब से प्रति माह लगभग 1.65 लाख टन खाद्यतेल का आयात किया जा सकेगा जबकि देश में सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम खाद्यतेलों की औसत मासिक खपत यानी मांग लगभग 2.50 लाख टन की है।
सूत्रों के मुताबिक, इस स्थिति से साफ जाहिर है कि मांग और आपूर्ति में फासला रहेगा। अब बाकी जरुरतों के लिए आयात करने वालों को सात रुपये प्रति किलो के हिसाब से आयात शुल्क भरना होगा। बाजार जिस हिसाब से चलते हैं, उसके अनुरूप शुल्क-मुक्त खाद्यतेलों के हिसाब से बाजार के भाव निर्धारित होंगे और बाकी शुल्क अदायगी वाले खाद्य तेलों के भाव भी उसी कम भाव के हिसाब से तय होंगे और यहीं सारी दिक्कत है। आयात शुल्क अदायगी वाले तेल को शुल्कमुक्त तेल के भाव से प्रतिस्पर्धा करनी होगी और इस हालात के कारण आयातक नये सौदों का अनुबंध नहीं कर रहे।
एक तरह से आम ग्राहकों के बीच बिक्री करने वाले जिस प्रसंस्करणकर्ता कंपनियों को शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति है, वे लागत से काफी अधिक कीमत वसूल रही हैं। खाद्यतेलों के भाव सस्ता होने के बजाय और महंगे हो रहे हैं। बाकी तेल तिलहन कीमतों पर भी इस बात का असर आयेगा।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने तेल कीमतें नरम करने की मंशा से यह शुल्क-मुक्त आयात की छूट देने का फैसला किया था लेकिन इस फैसले से कीमतें और बढ़ी हैं। आने वाली सर्दियों में हल्के तेलों की मांग और बढ़ेगी। सूत्रों ने कहा कि जब आयात की कोई सीमा निर्धारित नहीं थी तो बाजार में प्रतिस्पर्धा होती थी। उन्होंने कहा कि जब आयात शुल्क एकसमान था तो इन्हीं तेलों के थोक दाम कम हुआ करते थे। लेकिन शुल्क-मुक्त आयात के बाद ‘शार्ट सप्लाई’ (कम आपूर्ति) होने से इन तेलों के दाम प्रीमियम के साथ बिक रहे हैं और इसी वजह से खाद्यतेलों के भाव बढ़ गए हैं।
सूत्रों ने कहा कि या तो सरकार आयात पर लगी सीमा को खत्म कर दे या फिर पहले की तरह इन तेलों के आयात पर पांच प्रतिशत का आयात शुल्क लगा दे। सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिये क्योंकि इससे ‘‘शार्ट सप्लाई’’ (आपूर्ति की कमी) हो रही है और आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है जिससे उपभोक्ताओं को सस्ते के बजाय और महंगा खाद्यतेल मिल रहा है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि कांडला बंदरगाह पर सूरजमुखी कच्चा तेल का भाव 112 रुपये किलो बैठता है। इसकी रिफायनिंग पर अधिकतम छह रुपये प्रति किलो का खर्च आएगा। यानी कांडला पोर्ट पर रिफायनिंग के बाद सूरजमुखी तेल का थोक भाव 118 रुपये प्रति किलो होना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि अहमदाबाद की एक प्रमुख तेल प्रसंस्करण कंपनी ने थोक भाव 145 रुपये प्रति किलो तय कर रखा है। ऐसे में खुदरा भाव और बढ़ने के आसार बनेंगे।
इसी प्रकार, कच्चा सोयाबीन डीगम तेल का भाव कांडला पोर्ट पर 105 रुपये प्रति किलो बैठता है और रिफायनिंग के बाद इसका थोक भाव 109 रुपये बैठता है। दूसरी ओर कांडला बंदरगाह पर इसे 115 रुपये प्रति किलो के थोक भाव पर बेचा जा रहा है। खुदरा बाजार में सूरजमुखी तेल उपभोक्ताओं को 180-190 रुपये लीटर (910 ग्राम) और सोयाबीन रिफाइंड तेल 140-145 रुपये (910 ग्राम) लीटर मिल रहा है। यानी शुल्क मुक्त आयात करने का फैसला अपेक्षित परिणाम देने के बजाय घरेलू बाजार में कम आपूर्ति का कारण बन गया है, जिससे मांग और आपूर्ति की खाई बढ़ रही है।
सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के शुक्रवार के बंद भाव के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 65 रुपये सुधरकर 6,745-6,795 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 255 रुपये बढ़कर 13,580 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 30-30 रुपये बढ़कर क्रमश: 2,155-2,245 रुपये और 2,185-2,300 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि तेजी के आम रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 200-200 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 5,400-5,500 रुपये और 5,350-5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतें में भी तेजी रही। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 300 रुपये बढ़कर 12,500 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 120 रुपये बढ़कर 12,270 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 400 रुपये सुधरकर 11,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
बढ़त के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में भी मजबूती आई। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 125 रुपये बढ़कर 7,170-7,235 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 650 रुपये की मजबूती के साथ 16,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 55 रुपये की तेजी के साथ 2,745-2,935 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 300 रुपये की मजबूती के साथ 8,450 रुपये क्विंटल हो गया। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये बढ़कर 10,250 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 300 रुपये बढ़कर 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 150 रुपये मजबूत होकर 12,150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ।
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