भोपाल, 15 मई कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार कैदियों को एक बार में अधिकतम 120 दिन की आपात छुट्टी देगी।
इससे पहले सजायाफ्ता कैदियों को अधिकतम 60 दिन की पैरोल पर रिहा किया जाता था, जबकि विचाराधीन कैदियों को अधिकतम 45 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता था। यह भी कोविड—19 की महामारी के चलते इस साल 29 मार्च को बढ़ाकर लागू किया था।
मध्य प्रदेश जेल विभाग के उपसचिव मनोज खत्री द्वारा 13 मई को जारी आदेश में कहा गया है, ''महामारी के खतरे एवं प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों की दशा में या किसी अन्य परिस्थिति में जो जेल के बंदियों की संख्या को तत्काल कम करने का समर्थन करती है, उपयुक्त मामलों में बंदी को एक बार में अधिकतम 120 दिवस के लिए आपात छुट्टी की पात्रता होगी।''
इसमें कहा गया है कि ऐसे बंदी द्वारा जेल के बाहर व्यतीत की गई इस आपात छुट्टी की अवधि की गणना, बंदी के कुल दंडादेश की अवधि में सम्मिलित की जाएगी।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मार्च के दूसरे पखवाडे में उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे उच्च स्तरीय समितियों का गठन कर जेलों में भीड़ कम करने के लिए सात साल की जेल की अवधि के वाले कैदियों और विचाराधीन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करे।
इसके तुरंत बाद मध्य प्रदेश सरकार ने जेलों में भीड़ कम करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया, जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 29 मार्च को कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए मानवीय आधार पर प्रदेश की जेलों में बंद 8,000 कैदियों को राहत देने का निर्णय लिया था।
मध्य प्रदेश जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को '' बताया, ‘‘इसके बाद हमने तब करीब 7,000 कैदियों को रिहा किया था, जिनमें से करीब 4,000 बंदियों को 60 दिन के पैरोल पर रिहा किया था, जबकि अन्य करीब 3,000 विचाराधीन बंदियों को 45 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा किया था।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)