बेंगलुरु, 15 दिसंबर राज्य सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया है कि आवश्यक कदम उठाने के बाद कुछ जिलों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) छात्रावासों में कर्मचारियों की नियुक्ति पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
दरअसल एक मराठी अखबार में सात दिसंबर को एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी जिसमें कहा गया था कि विशेष दिशानिर्देशों के बावजूद इन छात्रावासों में कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई है। खबर में कहा गया था कि कुछ स्थानों पर एक ही वार्डन तीन या चार सरकारी छात्रावासों के प्रभारी की भूमिका निभा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने मीडिया में आई खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
इसके अलावा, अदालत ने मामले में वकील नितिन रमेश को न्याय मित्र नियुक्त करने का निर्देश दिया तथा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को मामले से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेजों को जांच के लिए स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि कर्मचारियों की कमी से छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप परीक्षा में उनका प्रदर्शन खराब हुआ है।
मामले की अगली सुनवाई शीतकालीन अवकाश के होगी।
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