देश की खबरें | न्यायमूर्ति धूलिया, न्यायमूर्ति पारदीवाला ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के तौर पर शपथ ली

नयी दिल्ली, नौ मई गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जमशेद बी पारदीवाला ने सोमवार को यहां उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय में एक बार फिर न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गई है, जो शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण ने शीर्ष अदालत के अतिरिक्त भवन परिसर के नवनिर्मित सभागार में एक समारोह के दौरान न्यायमूर्ति धूलिया और न्यायमूर्ति पारदीवाला को पद की शपथ दिलाई।

न्यायमूर्ति धूलिया और न्यायमूर्ति पारदीवाला की नियुक्ति के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की कुल संख्या फिर से 34 हो गई है जो उसकी स्वीकृत संख्या है। न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी के इस साल चार जनवरी को सेवानिवृत्त होने के बाद उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 32 हो गई थी।

उच्चतम न्यायालय के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति पारदीवाला दो साल से अधिक समय तक प्रधान न्यायाधीश के रूप में काम करेंगे।

उत्तराखंड से पदोन्नत होने वाले दूसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति धूलिया राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म निर्देशक और अभिनेता तिग्मांशु धूलिया के भाई हैं। उनका कार्यकाल तीन साल से थोड़ा अधिक होगा।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम द्वारा दो उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश के बाद केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यालय की ओर से जारी अलग-अलग अधिसूचनाओं के माध्यम से उनकी नियुक्तियों की घोषणा की गई। प्रधान न्यायाधीश ने दो और न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ अब तक शीर्ष अदालत के 11 न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाकर इतिहास रच दिया है।

न्यायमूर्ति पारदीवाला शीर्ष अदालत की शोभा बढ़ाने वाले पारसी समुदाय के चौथे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर के बाद, उच्च न्यायालय के, अल्पसंख्यक समुदाय के पहले न्यायाधीश होंगे, जिन्हें पिछले पांच वर्षों में पदोन्नत किया गया है। न्यायमूर्ति नजीर को फरवरी 2017 में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था।

दस अगस्त 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति धूलिया उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सुदूरवर्ती गांव मदनपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने 1986 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से वकालत शुरू की थी। सैनिक स्कूल, लखनऊ के पूर्व छात्र न्यायमूर्ति धूलिया ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और विधि स्नातक की पढ़ाई की।

न्यायमूर्ति धूलिया उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पहले मुख्य स्थायी वकील थे और बाद में अतिरिक्त महाधिवक्ता बने। वह नवंबर 2008 में उसी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए थे। बाद में वह 10 जनवरी, 2021 को असम, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।

12 अगस्त 1965 को जन्में न्यायमूर्ति पारदीवाला ने 1990 में गुजरात उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की थी।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण इस साल 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। वह पिछले साल अगस्त से अब तक रिकॉर्ड 11 नामों की सर्वसम्मति से सिफारिश करने के लिए पांच-न्यायाधीशों के कॉलेजियम में आम सहमति बनाने में सफल रहे हैं।

17 नवंबर, 2019 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत को एक भी न्यायाधीश नहीं मिला था। प्रधान न्यायाधीश रमण के पदभार संभालने के समय यहां नौ रिक्तियां थीं और उच्च न्यायालयों में लगभग 600 रिक्तियां थीं।

कॉलेजियम ने तब पिछले साल अगस्त में उच्चतम न्यायालय में नौ रिक्त पदों को एक बार में भरना सुनिश्चित किया। इन नौ न्यायाधीशों में शामिल तीन महिला न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना देश की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनेंगी।

वर्ष 1950 में शीर्ष अदालत की स्थापना के बाद से 2022 ऐसा दूसरा वर्ष होने जा रहा है, जिसमें तीन अलग-अलग प्रधान न्यायाधीश कुछ ही महीने तक पद पर रहेंगे।

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे मौजूदा प्रधान न्यायाधीश का स्थान लेंगे। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित का कार्यकाल दो महीने से थोड़ा अधिक होगा। नवंबर में न्यायमूर्ति ललित की सेवानिवृत्ति के बाद न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ का दो साल से अधिक की अवधि के लिए प्रधान न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालने का मार्ग प्रशस्त होगा।

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव के क्रमश: 10 मई और सात जून को सेवानिवृत्त होने के साथ ही शीर्ष अदालत में जल्द ही और रिक्तियां हो जाएंगी। न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी इस साल क्रमश: जुलाई और सितंबर में सेवानिवृत्त होंगे।

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