मदरसा शिक्षकों के मानदेय और वेतन में बढ़ोतरी क्या ‘वोट जिहाद’ नहीं: संजय राउत ने एकनाथ शिंदे सरकार से पूछा
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने शुक्रवार को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि मदरसा शिक्षकों के मानदेय और वेतन में बढ़ोतरी करने का फैसला क्या ‘वोट जिहाद’ नहीं है.
मुंबई, 11 अक्टूबर : शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने शुक्रवार को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि मदरसा शिक्षकों के मानदेय और वेतन में बढ़ोतरी करने का फैसला क्या ‘वोट जिहाद’ नहीं है. राउत ने आरोप लगाया कि ‘मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना’ जैसी योजनाओं का कार्यान्वयन और मौलाना आजाद वित्तीय निगम की कार्यशील पूंजी को 700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये किया जाना चुनावी गणित को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है.
महाराष्ट्र में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है. राउत ने कहा, ‘‘क्या यह (लाडकी बहिन जैसी योजनाएं और मदरसा शिक्षकों के वेतन में वृद्धि) ‘वोट जिहाद’ नहीं है? बच्चों को पढ़ाने वालों का वेतन बढ़ना चाहिए, लेकिन अगर हमने ऐसा किया होता, तो वे (भाजपा) इसे ‘वोट जिहाद’ कहते.’’ भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के वरिष्ठ नेता किरीट सोमैया ने राउत पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार ने उद्धव ठाकरे और संजय राउत का वेतन नहीं बढ़ाया है, जिनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में ‘वोट जिहाद’ का सहारा लिया था. यह भी पढ़ें : योगी आदित्यनाथ ने शारदीय नवरात्र की नवमी को कुंवारी कन्याओं का पूजन किया
सोमैया ने दावा किया कि जब स्वास्थ्य और शिक्षा की बात आती है, तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महायुति सरकार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती है. महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने डीएड डिग्री वाले मदरसा शिक्षकों का मानदेय 6,000 रुपये से बढ़ाकर 16,000 रुपये, जबकि बीए, बीएड बीएससी डिग्री वाले शिक्षकों का मानदेय 8,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये करने का फैसला किया है.