देश की खबरें | येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई नये सिरे से करने का विशेष अदालत को निर्देश

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकारी ठेके देने के लिए 'रिश्वत' लेने के सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बी. एस. येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ बुधवार को एक निजी शिकायत बहाल कर दी।

बेंगलुरु, सात सितंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकारी ठेके देने के लिए 'रिश्वत' लेने के सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बी. एस. येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ बुधवार को एक निजी शिकायत बहाल कर दी।

एक स्थानीय सत्र अदालत ने येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच संबंधी याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि तत्कालीन राज्यपाल ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

सामाजिक कार्यकर्ता टी. जे. अब्राहम ने शिकायत दर्ज कराई थी कि येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) से संबंधित ठेके देने के बदले में रामलिंगम कंस्ट्रक्शन कंपनी और अन्य मुखौटा कंपनियों से रिश्वत ली थी।

उन्होंने आरोपों की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की थी।

शिकायत में नामित अन्य लोगों में येदियुरप्पा के बेटे बी. वाई. विजयेंद्र, पोते शशिधर मराडी, दामाद संजय श्री, चंद्रकांत रामलिंगम, वर्तमान बीडीए अध्यक्ष और विधायक एस टी सोमशेखर, आईएएस अधिकारी जीसी प्रकाश, के रवि और विरुपक्षप्पा शामिल हैं।

सत्र न्यायालय ने आठ जुलाई, 2021 को यह कहते हुए शिकायत खारिज कर दी थी कि ‘‘वैध मंजूरी के अभाव में शिकायत विचारणीय नहीं है।’’ इसके बाद शिकायतकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

न्यायमूर्ति एस. सुनील दत्त यादव ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिस पर फैसला आज सुनाया गया।

याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए, उच्च न्यायालय ने सत्र अदालत का आदेश रद्द कर दिया और 81वें अतिरिक्त सिटी सिविल और सत्र न्यायाधीश अदालत को शिकायत पर नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति यादव ने कहा, ‘‘अभियोजन की मंजूरी की अस्वीकृति शिकायत की बहाली पर आरोपी नंबर-एक (येदियुरप्पा) के खिलाफ कार्यवाही जारी रखने में अवरोधक नहीं बनेगी।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल की मंजूरी की अस्वीकृति को नजरअंदाज किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा अनुरोध किसी जांच एजेंसी के पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाना है, न कि शिकायतकर्ता द्वारा।

अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में टी जे अब्राहम को कार्यवाही की मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास जाने का कोई कानूनी महत्व नहीं था और सत्र अदालत को उस कारण से शिकायत खारिज करने की आवश्यकता नहीं थी।

शिकायतकर्ता ने विशेष अदालत से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, भारतीय दंड संहिता और धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत कथित अपराधों का संज्ञान लेने का अनुरोध किया था। हालांकि, न्यायाधीश ने कहा था कि विशेष अदालत को पीएमएलए अधिनियम के तहत मामले का संज्ञान लेने का कोई अधिकार नहीं है और शिकायतकर्ता को उचित प्रक्रिया से गुजरना होगा।

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