नयी दिल्ली, सात अप्रैल प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि भारत के नेतृत्व ने देश की सुरक्षा और गरिमा पर ‘‘अकारण हमले’’ के मद्देनजर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितों को बरकरार रखने में राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन किया है।
उनकी इस टिप्पणी को पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा गतिरोध के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि देश परोक्ष युद्ध से लेकर ‘हाइब्रिड’ और गैर-संपर्क पारंपरिक युद्ध तक पूर्ण स्तरीय संघर्षों के लिहाज से विभिन्न सुरक्षा खतरों तथा चुनौतियों का सामना कर रहा है।
जनरल रावत ने कहा कि भारत को अपने मित्रों में किसी तरह की असुरक्षा उत्पन्न किए बिना इस तरह की चुनौतियों से सख्ती एवं प्रबलता से निपटने की क्षमताएं विकसित करनी होंगी।
उन्होंने एक थिंक-टैंक में अपने संबोधन में भारत की सेना के विकास का जिक्र किया और कहा कि देश को सुरक्षा समाधानों के लिए पश्चिमी जगत की तरफ देखने से बचना चाहिए और इसकी जगह विश्व को बताना चाहिए कि वह आए और विविध चुनौतियों से निपटने में भारत के व्यापक अनुभव से सीखे।
जनरल रावत ने कहा कि भारत के बाहरी खतरों से प्रभावी कूटनीति और पर्याप्त रक्षा क्षमता से निपटा जा सकता है, लेकिन साथ ही उल्लेख किया कि मजबूत राजनीतिक संस्थान, आर्थिक वृद्धि, सामाजिक सौहार्द, प्रभावी कानून व्यवस्था तंत्र, त्वरित न्यायिक राहत एवं सुशासन ‘‘आंतरिक स्थिरता के लिए पहली आवश्यकता’’ हैं।
वह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के कार्यक्रम में ‘मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को आकार देने’ संबंधी विषय पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे नेतृत्व ने देश की सुरक्षा, मूल्यों और गरिमा पर ‘‘अकारण हमले’’ के मद्देनजर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितों को बरकरार रखने में राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन किया है।’’
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