जरुरी जानकारी | दावोस सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि निवेश जुटाने, संघर्ष घटाने पर बल देंगे

दावोस, 22 मई स्विट्जरलैंड के दावोस में दो साल के अंतराल के बाद आयोजित हो रहे विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के वार्षिक सम्मेलन में भारत से करीब 100 कारोबारी प्रतिनिधियों और 10 से ज्यादा मंत्रियों एवं मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की उम्मीद है। इस दौरान उनका ध्यान निवेशकों को आकर्षित करने के साथ महामारी से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करने पर भी रहेगा।

इस बैठक में भारत का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल दुनिया को यह बताने की भी कोशिश करेगा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मामले में उसका रवैया ही सबसे संतुलित रहा है। यह अलग बात है कि पश्चिमी देशों के तमाम नेता इस मामले में रूस के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने की ही वकालत करते हुए नजर आएंगे।

भारत के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल की अगुआई वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल करेंगे। उनके अलावा पेट्रोलियम और शहरी आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे।

गोयल ने कहा कि यह सम्मेलन एक उभरती हुई आर्थिक ताकत के तौर पर भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को नए सिरे से रेखांकित करने में मदद करेगा और कारोबार एवं निवेश के आकर्षक केंद्र के तौर पर इसे पेश करेगा।

भारतीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दावोस बैठक में महामारी से निपटने से जुड़ी रणनीति एवं अपने अनुभवों को साझा करते हुए नजर आ सकते हैं। इसके साथ ही वे दुनियाभर के नेताओं से यह अनुरोध भी कर सकते हैं कि भविष्य में ऐसी किसी महामारी से निपटने के लिए एक संस्थागत ढांचा खड़ा किए जाने की जरूरत है।

पांच दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में निवेश एवं आर्थिक विकास से जुड़े मसलों के अलावा जलवायु परिवर्तन, क्रिप्टो मुद्राएं, बहुपक्षीय संस्थानों की भूमिका और दुनियाभर में लागत में हो रही बढ़ोतरी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।

भारत की तरफ से सम्मेलन में गौतम अडाणी, संजीव बजाज, हरि एस भरतिया, श्याम सुंदर भरतिया, कुमार मंगलम बिड़ला, शोभना कामिनेनी, सुनील मित्तल और पवन मुंजाल जैसे उद्योगपतियों के अलावा अदार पूनावाला, रोशनी नाडर मल्होत्रा, रितेश अग्रवाल एवं बायजू रवींद्रन जैसे नए उद्यमी भी शामिल शिरकत करने वाले हैं।

कुछ प्रतिनिधियों को लगता है कि दुनिया की नजर इस पर भी लगी रहेगी कि दो साल बाद होने वाले आम चुनावों के पहले भारत में किस तरह के राजनीतिक-सामाजिक घटनाक्रम घट रहे हैं।

हालांकि, एक भारतीय कंपनी के सीईओ ने कहा कि दुनियाभर में इन दिनों ध्रुवीकरण की गतिविधियां बढ़ रही हैं लिहाजा सिर्फ भारत को लेकर कोई मुद्दा चर्चा के केंद्र में रहने की संभावना काफी कम है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट, जलवायु परिवर्तन और भविष्य में महामारी से निपटने की तैयारी के मुद्दे ही मुख्य रूप से चर्चा में रहेंगे।

भारतीय नजरिये से दावोस बैठक की एक खास बात यह है कि इसमें कुछ राज्य जोरशोर से शिरकत कर रहे हैं। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने यहां पर न सिर्फ अलग पवेलियन बनाए हैं बल्कि उनमें से कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री भी यहां पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने आएंगे।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस बोम्मई ने भरोसा जताया है कि इस पहल से कर्नाटक को अधिक निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। दावोस सम्मेलन में शामिल होने वाले बोम्मई मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान 18 देशों के कारोबारी प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी, महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे और तमिलनाडु के मंत्री थंगम थेनारासु के अलावा तेलंगाना के मंत्री के टी रामाराव भी अपने राज्यों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे।

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