भारतीय अर्थव्यवस्था दीर्घावधि में ‘सबसे अधिक लचीली’ साबित हो सकती है: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 के प्रकोप के बाद दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया के उप-भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था ‘‘सबसे अधिक लचीली’’ साबित हो सकती है.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

संयुक्त राष्ट्र, 29 दिसंबर: संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 के प्रकोप के बाद दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया (South And South-West Asia) के उप-भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था ‘‘सबसे अधिक लचीली’’ साबित हो सकती है. रिपोर्ट में साथ ही कहा गया कि कोविड-19 के बाद कम लेकिन सकारात्मक आर्थिक वृद्धि और बड़े बाजार के कारण भारत निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बना रहेगा. एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) द्वारा जारी ‘एशिया और प्रशांत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रुझान और परिदृश्य 2020/2021’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में दक्षिण और दक्षिण पश्चिम एशिया में एफडीआई प्रवाह की आवक दो प्रतिशत घटी है और यह 2018 के 67 अरब डॉलर के मुकाबले 2019 में 66 अरब डॉलर रही.

हालांकि, इस दौरान भारत में एफडीआई आवक सबसे अधिक रही, और इस उप-क्षेत्र में कुल एफडीआई में उसकी 77 प्रतिशत हिस्सेदारी रही. इस दौरान भारत में 51 अरब डॉलर बतौर एफडीआई आए, जो इससे पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है. पिछले सप्ताह जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से अधिकांश प्रवाह सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) और निर्माण क्षेत्र के हिस्से आया.यह भी पढ़े: संयुक्त राष्ट्र ने 75 वर्ष के इतिहास में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े संकट का सामना किया

आईसीटी क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि बहुराष्ट्रीय उद्यम (एमईएन) सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं से संपन्न स्थानीय डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश कर रहे हैं और खासतौर से ई-कॉमर्स में काफी अंतरराष्ट्रीय निवेश आया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया से एफडीआई बहिर्गमन लगातार चौथे वर्ष बढ़ा और ये 2018 के 14.8 अरब अमरीकी डालर से बढ़कर 2019 में 15.1 अरब अमरीकी डालर हो गया.

रिपोर्ट में कहा गया कि लंबी अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे अधिक लचीली साबित हो सकती है और भले ही महामारी के बाद आर्थिक विकास दर कम हो जाए, लेकिन बड़े बाजार की मांग के चलते यहां निवेश आता रहेगा. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2025 तक आईटी और व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन, डिजिटल संचार सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे मुख्य डिजिटल क्षेत्र का आकार दोगुना हो सकता है.

 

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\