कोरोना महामारी: कोविड-19 के स्रोत का पता लगाने के लिए WHO के कदम का भारत ने किया समर्थन

डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की दो दिवसीय 73वां सत्र जिनेवा में शुरू हुआ। यह वायरस की चीन के शहर वुहान में उत्पत्ति की जांच को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगातार बनाए जा रहे दबाव की पृष्ठभूमि में हो रही है।

कोरोना वायरस का कहर (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के उस महत्वपूर्ण सम्मेलन में सोमवार को लगभग 120 देशों में शामिल हुआ जिसमें कोरोना वायरस संकट को लेकर वैश्विक प्रतिक्रिया का निष्पक्ष और व्यापक मूल्यांकन करने के साथ-साथ इस घातक संक्रमण के स्रोत का पता लगाने पर जोर दिया जाएगा. डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की दो दिवसीय 73वां सत्र जिनेवा में शुरू हुआ। यह वायरस की चीन के शहर वुहान में उत्पत्ति की जांच को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगातार बनाए जा रहे दबाव की पृष्ठभूमि में हो रही है. चीन और अमेरिका के बीच टकराव का कारण ट्रंप प्रशासन द्वारा ताईवान को डब्ल्यूएचओ में शामिल करने पर जोर देना भी है. चीन ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है क्योंकि वह ताईवान को अपना हिस्सा बताता है.

उम्मीद है कि डब्ल्यूएचए में महामारी से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की संभावना तलाशी जाएगी जिसने तीन लाख 10 हजार से अधिक लोगों की जान ले ली है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के अलावा लगभग 47 लाख व्यक्तियों को संक्रमित किया है।सत्ताइस देशों वाले यूरोपीय संघ द्वारा आगे बढ़ाये गए मसौदा प्रस्ताव को कई देशों ने डब्ल्यूएचए में चर्चा के लिए समर्थन दिया है। इसमें कोविड-19 के प्रति डब्ल्यूएचओ की समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का चरणबद्ध तरीके से निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं समग्र आकलन का आह्वान किया गया है.  इसमें हालांकि चीन का उल्लेख नहीं किया गया है। कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान में पिछले वर्ष दिसम्बर में सामने आया था। उसके बाद से यह 180 से अधिक देशों में फैल गया है. यह भी पढ़े: कोरोना पर चीन की बढ़ी टेंशन, WHO में भारत भी करेगा जांच की मांग का समर्थन, 60 देश और साथ

इस मसौदे में कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक एवं सहयोगात्मक ‘फील्ड मिशन’ का आह्वान किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के कदम से भविष्य में इसी तरह की घटनाओं के जोखिम को कम करने के लिए लक्षित उपाय और एक शोध एजेंडा सक्षम हो सकेगा. मसौदा प्रस्ताव में वायरस के पशुजन्य स्रोत और मनुष्य में इसके प्रवेश का पता लगाने के लिए पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन और अन्य देशों के साथ करीब से काम करने का भी आह्वान किया गया है.

भारत के अलावा इस मसौदा प्रस्ताव को समर्थन देने वालों में ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बेलारूस, भूटान, ब्राजील, कनाडा, चिली, कोलंबिया, जिबूती, डोमिनिकन गणराज्य, इक्वाडोर, एल सेल्वाडोर, ग्वाटेमाला, गुयाना, आइसलैंड, इंडोनेशिया, जापान, जोर्डन, कजाकस्तान, मलेशिया, मालदीव और मेक्सिको शामिल हैं.डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मोंटेनीग्रो, न्यूजीलैंड, उत्तर मैसेदोनिया, नॉर्वे, पराग्वे, पेरु, कतर, कोरिया गणराज्य, मोलदोवा, रूस, सैन मरीनो, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया, तुर्की, यूक्रेन, ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं. करीब 50 देशों वाला अफ्रीकी समूह भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहा है.

हालांकि हैरानी की बात है कि इस कदम को समर्थन देने वाले देशों की सूची में अमेरिका का नाम नहीं नजर आया है. मसौदा प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि डब्लूएचओ के स्वास्थ्य आपात स्थितियों को मजबूत करने के माध्यम से वैश्विक महामारी रोकथाम तंत्र में सुधार के लिए सिफारिशें की जाएं. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन डब्ल्यूएचए वीडियो-सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

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