ताजा खबरें | भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते में शामिल होने पर पुनर्विचार नहीं कर रहा : गोयल
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. सरकार ने शुक्रवार को संसद में कहा कि भारत ने 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने का फैसला किया था, क्योंकि यह करार उसकी चिंताओं का समाधान नहीं करता था और और तब से स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
नयी दिल्ली, छह दिसंबर सरकार ने शुक्रवार को संसद में कहा कि भारत ने 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने का फैसला किया था, क्योंकि यह करार उसकी चिंताओं का समाधान नहीं करता था और और तब से स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उनसे सवाल किया गया था कि क्या सरकार क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते में शामिल होने पर पुनर्विचार कर रहा है।
इसके जवाब में गोयल ने कहा, ‘‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते का उद्देश्य आरसीईपी देशों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्रदान करना था। तथापि, आरसीईपी की संरचना ने भारत के हितधारकों की महत्वाकांक्षाओं और चिंताओं का उचित समाधान नहीं किया।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘इनके आलोक में, भारत ने वर्तमान स्वरूप में आरसीईपी में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया। तदनुसार, बैंकॉक में चार नवंबर 2019 को आयोजित आरसीईपी नेताओं के तीसरे शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने अपनी स्थिति से अवगत कराया कि आरसीईपी की वर्तमान संरचना आरसीईपी मार्गदर्शक सिद्धांतों को परीलक्षित नहीं करती है अथवा भारत के प्रमुख मुद्दों और चिताओं का समाधान नहीं करती है।’’
गोयल ने कहा कि उसके बाद से भारत की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है, फिर भी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत, आसियान देशों और अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ भारत की सहभागिता जारी रहेगी।
उन्होंने बताया कि चीन से भारत का आयात 2018-19 में 70.32 अरब अमेरिकी डॉलर था जो 2023-24 में बढ़कर 101.74 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। वहीं पिछले वित्त वर्ष में निर्यात घटकर 16.66 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया जो 2018-19 में 16.75 अरब अमेरिकी डॉलर थाा।
गोयल ने कहा कि चीन से आयातित अधिकांश वस्तुएं पूंजीगत सामान, मध्यवर्ती सामान और कच्चा माल है और इनका उपयोग भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और बिजली जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है।
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