नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर भारत ने चीन से होने वाले सस्ते आयात से घरेलू कंपनियों को संरक्षण देने के लिए ग्लास मिरर और सेलोफेन पारदर्शी फिल्म सहित पांच चीनी उत्पादों पर पांच साल के लिए डंपिंग-रोधी शुल्क लगा दिया है।
चीन से सस्ते दाम पर आयात होने वाले आइसोप्रोपिल अल्कोहल, सल्फर ब्लैक, सेलोफेन पारदर्शी फिल्म, थर्मोप्लास्टिक पॉलीयूरेथेन और बिना फ्रेम वाले ग्लास मिरर पर यह शुल्क लगाया हया है। इन वस्तुओं का सामान्य से कम कीमतों पर चीन से आयात किया जा रहा था।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने पांच अलग-अलग अधिसूचनाओं में कहा कि यह शुल्क पांच साल की अवधि के लिए लगाया जाएगा।
सरकार ने चिकित्सा और औद्योगिक उपयोग वाले आइसोप्रोपिल अल्कोहल को लेकर चीन की विभिन्न फर्मों पर 82 डॉलर प्रति टन और 217 डॉलर प्रति टन का शुल्क लगाया है। इसका उपयोग एंटीसेप्टिक और हैंड सैनिटाइजर के रूप में भी होता है।
सल्फर ब्लैक के आयात पर 389 डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है। इसका उपयोग कपड़ा, कागज और चमड़े की रंगाई के लिए किया जाता है।
इसी तरह वाहन, चिकित्सा एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उपयोग वाले थर्मोप्लास्टिक पॉलीयूरेथेन के आयात पर अब 0.93 डॉलर प्रति किलोग्राम से लेकर 1.58 डॉलर प्रति किलोग्राम तक शुल्क लगेगा।
पैकिंग सामग्री के रूप में इस्तेमाल होने वाली सेलोफेन पारदर्शी फिल्म का डंपिंग-रोधी शुल्क 1.34 डॉलर प्रति किलोग्राम रखा गया है। वहीं बिना फ्रेम वाले ग्लास मिरर पर 234 डॉलर प्रति टन का शुल्क लगाया गया है।
वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिशों के बाद ये शुल्क लगाए गए हैं। वित्त मंत्रालय इन शुल्कों को लगाने का अंतिम निर्णय लेता है।
भारत ने पहले भी चीन सहित विभिन्न देशों से सस्ते आयात से निपटने के लिए कई उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया है। चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
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