देश की खबरें | भारत, चीन ने पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों के समाधान को लेकर गहराई से चर्चा की
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नयी दिल्ली, 12 मार्च भारत और चीन ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों के समाधान को लेकर गहराई से चर्चा की और कहा कि पैंगोंग झील के उत्तरी, दक्षिणी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने से शेष मुद्दों के जल्द समाधान की दिशा में अच्छा आधार प्रदान किया है ।
भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार विमर्श और समन्वय संबंधी कार्यकारी तंत्र की 21वीं बैठक 12 मार्च 2021 को हुई । इसमें भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने की और चीनी शिष्टमंडल का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय के सीमा एवं समुद्री विभाग के महानिदेशक ने की ।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति की समीक्षा की और इस सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों के समाधान को लेकर गहराई से चर्चा की ।
दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि पैंगोंग झील के उत्तरी, दक्षिणी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने से शेष मुद्दों के जल्द समाधान की दिशा में कार्य करने के लिये दोनों पक्षों के लिये अच्छा आधार मुहैया कराया है ।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि पिछले वर्ष सितंबर में मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति और पिछले महीने टेलीफोन पर हुई चर्चा के अनुरूप दोनों पक्षों को काम करना जारी रखना चाहिए ।
दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों को गतिरोध वाले सभी स्थानों से जल्द से जल्द सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए वार्ता जारी रखनी चाहिए
बयान के अनुसार, ‘‘ इससे दोनों पक्षों को क्षेत्र में व्यापक रूप से सैनिकों के पीछे हटाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाली करने में मदद मिलेगी । ’’
दोनों पक्षों को किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने पर भ्री सहमति हुयी ।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों ने राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर करीबी संवाद कायम रखने पर भी सहमत हुए ।
गौरतलब है कि पैंगोंग झील क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक 20 फरवरी को हुई थी जिसमें संघर्ष के अन्य इलाकों में पीछे हटने पर ध्यान केंद्रित किया गया था ।
समझा जाता है कि भारत हाट स्प्रींग, गोगरा और देपसांग में तेजी से पीछे हटने को लेकर जोर दे रहा है ।
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