सरसों, मूंगफली, बिनौला सहित विभिन्न तेल कीमतों में सुधार
जमात

नयी दिल्ली, 17 मई लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद बाजार की मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन डीगम को छोड़कर विभिन्न तेल-तिलहन कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सुधार आया। हालांकि, इस सुधार के बावजूद सरसों, सोयाबीन सहित विभिन्न देशी खाद्य तेलों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम चल रहे हैं और किसानों को इसका कोई फायदा नहीं है क्योंकि उनके लिए अपनी लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि हालांकि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सरसों में सुधार आया है लेकिन अगर इसके वायदा और हाजिर भाव को देखा जाये तो वह एक अप्रैल से लागू 4,425 रुपये क्विन्टल के भाव से काफी कम है। इसके अलावा इन किसानों को कंडीशन, मंडी शुल्क, वारदाना व अन्य खर्चे का बोझ अलग से वहन करना होता है। वास्तव में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 700 रुपये कम कीमत ही मिल पाती है। इससे किसान हतोत्साहित हैं।

शनिवार को नजफगढ़, दिल्ली की मंडी में सरसों का हाजिर भाव 4,150 रुपये क्विन्टल बोला गया जो एमएसपी से काफी कम है। इसके अलावा हरियाणा की रेवाड़ी मंडी में सहकारी संस्था हाफेड ने किसानों से सीधी खरीद के लिए कारोबारियों से बोली मंगाई है जिसके लिए शनिवार को लगभग 3,875-3,975 रुपये प्रति क्विन्टल की बोली प्राप्त हुई है।

सूत्रों का कहना है कि हाफेड एमएसपी पर तो सरसों खरीद रही है लेकिन इसे कारोबारियों और बिचौलियों को सस्ते में बेच रही है। इससे सरकार, कारोबारियों और आम किसानों को नुकसान हो रहा है। एक ओर सरकार किसानों के लगभग 20 प्रतिशत उपज की ही एमएसपी पर खरीद कर पाती है और जब उसे सस्ते में बिचौलियों को बेचा जायेगा तो सरसों का हाजिर भाव टूटेगा और ऐसे में किसानों को बाकी 80 प्रतिशत फसल को भी सस्ते में बेचने को बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि या तो सरकार किसानों की पूरी की पूरी उपज की खरीद सुनिश्चित करे या फिर उसे सस्ते में बेचने से बचना होगा नहीं तो सरसों सहित विभिन्न देशी तिलहन उत्पादक किसानो की हालत काफी खराब हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि कुछ कारोबारी नहीं चाहते कि देश तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर हो और वे कई अन्य व्यापारियों के साथ गठजोड़ कायम करके जानबूझकर भाव तोड़ते हैं और वायदा कारोबार की संरचना उन्हें फलने-फूलने का मौका देती है।

बीते सप्ताहांत सरसों दाना (तिलहन फसल), सरसों दादरी, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतों में सुधार देखने को मिला। सरसों दाना (तिलहन फसल), सरसों दादरी की कीमतें क्रमश: 65 रुपये और 80 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,365-4,415 रुपये और 8,830 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी की कीमतें 10-10 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,420-1,565 रुपये और 1,490-1,610 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।

समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एमएसपी से कम कीमत होने की वजह से मंडी में फसल की आवक कम होने तथा स्थानीय मांग की वजह से मूंगफली दाना सहित उसके तेलों की कीमतों में सुधार आया। मूंगफली दाना और मूंगफली गुजरात के भाव क्रमश: 85 रुपये और 250 रुपये सुधरकर क्रमश: 4,950-5,000 रुपये और 13,750 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 25 रुपये के सुधार के साथ 2,030-2,080 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

वनस्पति घी का भाव 25 रुपये सुधरकर 955-1,060 रुपये प्रति 15 किग्रा हो गया जबकि तिल मिल डिलिवरी का भाव 10,000-13,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर अपरिवर्तित रहा।

आवक घटने और मांग बढ़ने से सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में क्रमश: 120 रुपये और 70 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 8,620 रुपये और 8,570 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। जबकि इसके विपरीत सोयाबीन डीगम का भाव 50 रुपये की हानि दर्शाता 7,450 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) की कीमत भी 100 रुपये के सुधार के साथ 7,700 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। सुधार के आम रुख के अनुरूप सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज के भाव, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 15-15 रुपये का सुधार दर्शाते समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 3,940-3,990 रुपये और 3,740-3,790 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

राजेश

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