जरुरी जानकारी | मांग निकलने से सरसों, बिनौला में सुधार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. देशी तेल-तिलहनों की मांग निकलने से देश के तेल-तिलहन बाजारों में शुक्रवार को सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ जबकि मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
नयी दिल्ली, छह सितंबर देशी तेल-तिलहनों की मांग निकलने से देश के तेल-तिलहन बाजारों में शुक्रवार को सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ जबकि मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज में मामूली गिरावट थी जबकि शिकॉगो एक्सचेंज रात तेज बंद हुआ था और अभी यहां घट-बढ़ जारी है।
बाजार सूत्रों ने बताया कि देश के प्रमुख तेल संगठन ‘मोपा’ ने सरसों की पैदावार के आंकड़ों को घटाया है। मोपा ने सरसों पैदावार के अपने अप्रैल के आंकड़े 123 लाख टन को घटाकर 115 लाख टन कर दिया है और सबसे अधिक उत्पादन में गिरावट का अनुमान उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में होने का लगाया है। जिसके बाद सरसों के दाम में सुधार देखा गया। देशी तेलों की थोड़ी मांग निकलने के कारण भी सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में सीपीओ (हैवी आयल) का भाव 1,050 डॉलर प्रति टन है और सोयाबीन तेल (सॉफ्ट आयल) का दाम 994 डॉलर प्रति टन है। यानी हेवी आयल का थोक दाम सॉफ्ट आयल से लगभग 56 डॉलर प्रति टन अधिक है फिर खुदरा बाजार में सोयाबीन तेल, पामोलीन तेल से 50 रुपये लीटर अधिक दाम पर क्यों बिक रहा है? इस बात की जवाबदेही किसकी होगी? महंगाई की चिंता करने वालों को इस विसंगति पर चिंता करनी चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने विभिन्न सोयाबीन उत्पादक राज्यों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन फसल खरीदने का जो मंतव्य जताया है, उसपर विचार करने की जरुरत है। शुरुआती सोयाबीन फसल नमी वाली होगी जिसमें 10-12 या 14 प्रतिशत तक नमी हो सकती है। इसलिए खरीद में दिक्कत आयेगी। बाद में सूखा माल आयेगा और सरकार 4,892 रुपये क्विंटल के एमएसपी पर खरीद कर भी लेती है तो यह देखने की जरुरत है कि खुले में सोयाबीन का भाव 4,200-4,400 रुपये क्विंटल बोला जा रहा है। ऐसे में सोयाबीन प्लांट वाले पेराई कर भी लें तो उनका देशी सोयाबीन तेल बेपड़ता बैठेगा। देशी तेल-तिलहन का जबतक बाजार नहीं बनाया जायेगा तो इन सोयाबीन प्लांटवालों का सोयाबीन तेल खपेगा कहां? दूसरा सोयाबीन डीओसी के निर्यात से जो तेल की कमी को पूरा किया जाता रहा है वह भी संभव नहीं दिख रहा क्योंकि महंगे भाव के कारण सोयाबीन डीओसी की निर्यात मांग भी नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाने की ओर सबसे पहले ध्यान देना होगा।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,285-6,325 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,600-6,875 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,560 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,350-2,650 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 12,475 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,000-2,100 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,000-2,115 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,375 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,770-4,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,570-4,705 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)