आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा के एजेंसी के कार्यकारी बोर्ड के सामने पेश होने के एक दिन बाद यह बयान आया है. कार्यकारी बोर्ड इन आरोपों की जांच कर रहा है कि 2018 में विश्व बैंक के कर्मचारियों पर चीन और अन्य देशों की व्यापार-जलवायु रैंकिंग को प्रभावित करने वाली जानकारियों को बदलने के लिए दबाव डाला गया था. बैंक की "डूइंग बिजनेस" रिपोर्ट में देशों को उनके कर बोझ, नौकरशाही की बाधाओं, नियामक प्रणालियों और अन्य व्यावसायिक स्थितियों का मूल्यांकन करने के बाद रैंक दिया गया था. निवेश आकर्षित करने के लिए सरकारें रिपोर्ट में उच्च रैंकिंग पाने की इच्छुक थीं.
जॉर्जीवा ने बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा, “मुझे खुशी है कि मुझे अंततः आईएमएफ बोर्ड को डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में अपनी भूमिका समझाने का अवसर मिला.” इस बयान के अलावा, जॉर्जीवा के वकीलों ने पांच घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में बुधवार को बोर्ड को दिए गए 11-पृष्ठ के बयान को जारी किया. शुक्रवार को इस मामले में बोर्ड की फिर से बैठक होने वाली है. आईएमएफ में अपने पद से इस्तीफा देने की मांगों के बीच जॉर्जीवा ने इस मामले में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है. यह भी पढ़ें : Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी की ‘चुप्पी’ पर कपिल सिब्बल ने उठाया सवाल
उन्होंने 190 देशों के आईएमएफ में शीर्ष पद पर काबिज होने से पहले क्रिस्टीन लेगार्ड की जगह लेकर जनवरी 2017 से सितंबर 2019 तक विश्व बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्य किया. लेगार्ड अब यूरोपीय सेंट्रल बैंक की प्रमुख हैं. आंकड़ों की हेराफेरी के आरोप विलिमरहेल लॉ फर्म द्वारा की गई समीक्षा से सामने आए जिसमें आरोप लगाया गया था कि जॉर्जीवा ने बैंक के अर्थशास्त्रियों पर चीन की रैंकिंग में सुधार करने के लिए दबाव डाला था, जब वह और बैंक के अन्य अधिकारी विश्व बैंक के वित्तपोषण संसाधनों में वृद्धि का समर्थन करने के लिए चीन को मनाने का प्रयास कर रहे थे.