देश की खबरें | जबरन वसूली मामले में समय पर कार्रवाई होती तो बीड के सरपंच की जान बच जाती: शरद पवार गुट के नेता

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता बजरंग सोनावणे ने बीड जिले के एक गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की जांच पर सोमवार को सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस द्वारा समय पर कार्रवाई की गई होती तो उनकी जान बच जाती।

छत्रपति संभाजीनगर, 13 जनवरी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता बजरंग सोनावणे ने बीड जिले के एक गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की जांच पर सोमवार को सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस द्वारा समय पर कार्रवाई की गई होती तो उनकी जान बच जाती।

वहीं सरपंच देशमुख की पत्नी ने दावा किया कि पवन चक्की कंपनी में हुए झगड़े के बाद सरपंच संतोष देशमुख को कुछ अज्ञात लोगों ने धमकी दी थी।

उन्होंने बताया कि धमकी हत्या से कुछ दिन पहले दी गयी थी।

देशमुख की पत्नी ने दावा किया कि उनके पति डरे हुए थे और कुछ दिनों तक लातूर में ही रहे लेकिन धमकी भरे फोन आने बंद नहीं हुए।

संतोष देशमुख की पत्नी अश्विनी देशमुख ने एक मराठी समाचार चैनल को बताया, “मेरे पति को कुछ अज्ञात लोगों ने धमकाया था। उन्होंने मुझे बताया कि छह दिसंबर को पवनचक्की कंपनी (बीड क्षेत्र में) में झगड़ा करने वाले लोग गुंडों की तरह व्यवहार कर रहे थे। उन्होंने मुझे यह नहीं बताया कि उन्हें किसने धमकाया।”

शरद पवार गुट के नेता सोनावणे ने कहा कि निलंबित किए गए पुलिस निरीक्षक को संबंधित जबरन वसूली मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए।

बीड से सांसद सोनावणे ने पत्रकारों से कहा कि जबरन वसूली मामले में पुलिस द्वारा समय पर कार्रवाई की गई होती तो मासजोग गांव के सरपंच देशमुख की जान बच सकती थी।

देशमुख का नौ दिसंबर को अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई। महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा नेता धनंजय मुंडे के सहयोगी वाल्मीक कराड को जबरन वसूली के मामले में गिरफ्तार किया गया है।

सीआईडी ​​ने अब तक हत्या के मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि एक व्यक्ति अब भी फरार है।

सोनावणे ने कहा, “हत्या की ओर ले जाने वाली घटनाएं पिछले वर्ष 28 मई को शुरू हुईं, जब रमेश घुले और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था। लेकिन घुले को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया और जमानत दे दी गई, जबकि अज्ञात आरोपी को कभी नहीं पकड़ा गया।”

उन्होंने दावा किया कि आरोपियों ने 29 नवंबर, 2024 को अवाडा कंपनी के एक कर्मचारी से वसूली की रकम मांगी थी। वे पैसे के लिए छह दिसंबर को कंपनी के परिसर में पहुंचे और 11 दिसंबर को जबरन वसूली का मामला (कराड के खिलाफ) दर्ज किया गया।

रांकपा (शरदचंद्र पवार) नेता ने कहा कि अगर पुलिस ने पहले कार्रवाई की होती तो संतोष देशमुख जिंदा होते।

सोनावणे ने उस पुलिसकर्मी को जबरन वसूली के मामले में आरोपी बनाने की मांग की, जो आरोपियों के अवाडा कंपनी के परिसर में पहुंचने पर कथित रूप से मौजूद था और जिसे निलंबित कर दिया गया है।

सोनावणे ने दावा किया कि पुलिस ने मृतक सरपंच के भाई धनंजय देशमुख से उस समय झूठ बोला था, जब वह अपहरण की शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचे थे।

उन्होंने कहा कि जब धनंजय देशमुख थाने गए तो उन्हें बताया गया कि उनका भाई कुछ ही मिनटों में आ जाएगा लेकिन बाद में संतोष देशमुख का शव मिला।

नेता ने पूछा कि पुलिस को शव के बारे में कैसे पता चला? सांसद ने आरोप लगाया कि जबरन वसूली के मामले में एक आरोपी ने पूर्व प्रभारी मंत्री से उनके बंगले पर मुलाकात की थी।

सोनावणे ने सवाल किया कि पुलिस ने उस व्यक्ति को कैसे जाने दिया और किसने उसकी मदद की।

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