देश की खबरें | अगर केंद्र ने आवास योजना का बकाया नहीं चुकाया तो उनकी सरकार 11 लाख घर बनाएगी : ममता
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि अगर केंद्र एक अप्रैल तक प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का "बकाया" नहीं चुकाता है, तो उनकी सरकार राज्य के गरीबों के लिए 11 लाख घर बनाएगी।
पुरुलिया, 27 फरवरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि अगर केंद्र एक अप्रैल तक प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का "बकाया" नहीं चुकाता है, तो उनकी सरकार राज्य के गरीबों के लिए 11 लाख घर बनाएगी।
बनर्जी ने राज्य के लिए केंद्रीय योजनाओं का धन रोकने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा। वह एक कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित कर रही थीं।
बनर्जी ने कहा, ‘‘हम एक अप्रैल तक इंतजार करेंगे और अगर केंद्र आवास योजना के लिए धन जारी नहीं करता है, तो हमारी सरकार लाभार्थियों के लिए 11 लाख घर बनाएगी। हम केंद्र से भीख नहीं मांगेंगे।’’
राज्य सरकार ने सोमवार को उन मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) श्रमिकों को भुगतान करना शुरू कर दिया, जिनका "बकाया" केंद्र के पास लंबित था।
बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार लगभग 50 लाख मनरेगा श्रमिकों को भुगतान करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम 50 लाख मनरेगा श्रमिकों को भुगतान कर रहे हैं, न कि 21 लाख को। हमने यह संख्या (21 लाख) केंद्र के पोर्टल से ली थी, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि यह 50 लाख है। अगले कुछ दिनों में, (पैसे का) हस्तांतरण पूरा होगा। हम केंद्र की भाजपा सरकार से पूछेंगे कि उन्होंने श्रमिकों को उनका बकाया क्यों नहीं दिया।’’
बनर्जी ने पहले घोषणा की थी कि जिन 21 लाख श्रमिकों को पिछले तीन वर्षों के दौरान 100-दिवसीय कार्य योजना के तहत काम करने के बाद भी केंद्र से पैसा नहीं मिला है, उन्हें उनकी सरकार भुगतान करेगी।
उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कोलकाता में धरना दिया था और दावा किया था कि केंद्र पर मनरेगा और पीएमएवाई सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत राज्य का हजारों करोड़ रुपये बकाया है।
मुख्यमंत्री ने पिछले साल भी इस मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री के भतीजे एवं पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी ने नई दिल्ली में इस मुद्दे पर आंदोलन किया था तथा बाद में वह कार्यकर्ताओं के साथ कोलकाता स्थित राजभवन के बाहर धरने पर बैठे थे।
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