देश की खबरें | एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है, बुनियादी सावधानियां बरतें: विशेषज्ञ

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी भारत में ‘ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस’ (एचएमपीवी) के मामले सामने आने पर बढ़ती चिंताओं के बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि यह वायरस नया नहीं है तथा लोगों को बुनियादी सावधानियां बरतने की जरूरत है।

श्वसन संक्रमण फैलाने वाले एचएमपीवी पर हाल में चीन में महामारी जैसी स्थिति फैलने के बाद ध्यान गया है। हालांकि यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इसके मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं देखी गई है।

विशेषकर सर्दियों और शुरुआती वसंत के दौरान एचएमपीवी आमतौर पर हवा के माध्यम से फैलता है।

‘उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स’ के चिकित्सा निदेशक डॉ. आबिद अमीन भट ने कहा, ‘‘एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है और इसकी पहली बार पहचान 2001 में हुई थी। यह वायरस एक उभरती हुई स्वास्थ्य चिंता है, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है। इसके लक्षणों को समझना, आवश्यक सावधानियां बरतना और परीक्षण प्रोटोकॉल का पालन करना इसके प्रसार को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए जरूरी है।’’

उन्होंने कहा कि एचएमपीवी संक्रमण के सामान्य लक्षण खांसी, ज्वर, थकान, श्वसन बीमारियां, गले में खराश, बदनदर्द और कुछ मामलों में जठरांत्र रुग्णता होती है।

भट ने कहा, ‘‘यदि ऐसे लक्षण दिखते हैं तो हम चिकित्सकीय परामर्श लेने की सलाह देते हैं।’’

‘पारस हेल्थ उदयपुर’ में ‘इंटरनल मेडिसिन’ के निदेशक डॉ. मधु नाहर रॉय ने सावधानियों पर बल देते हुए कहा कि बार-बार हाथ धोना, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क लगाना और एक-दूसरे से दूर रहना संक्रमण के जोखिम को कम करने के प्रभावी तरीके हैं।

उन्होंने कहा कि स्वस्थ आहार, पर्याप्त नींद और शारीरिक अभ्यास से प्रतिरक्षा तंत्र की मजबूती भी आवश्यक है।

डॉ. मधु ने कहा, ‘‘गंभीर मामलों में श्वसन संबंधी समस्या का आकलन करने के लिए छाती के एक्स-रे या सीटी स्कैन जैसी इमेजिंग तकनीकों की सलाह दी जा सकती है।’’

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि एचएमपीवी के प्रति भारत की मजबूत तैयारी व्यापक बुनियादी ढांचे और कोविड-19 महामारी के दौरान प्राप्त अनुभव पर आधारित है।

आईसीएमआर ने कहा है कि एचएमपीवी भारत सहित विश्व भर में नजर आ रहा है और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी या गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के मामलों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है।

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