देश की खबरें | उच्‍च न्‍यायालय ने छह लोगों की हत्या के दोषी की फांसी की सजा बरकरार रखी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने 13 वर्ष पहले अपनी पत्नी एवं बच्‍चों समेत छह लोगों की हत्या करने के दोषी सरवन के कृत्‍य को नरसंहार करार देते हुए निचली अदालत द्वारा उसे सुनाई गयी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी।

लखनऊ, छह सितंबर इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने 13 वर्ष पहले अपनी पत्नी एवं बच्‍चों समेत छह लोगों की हत्या करने के दोषी सरवन के कृत्‍य को नरसंहार करार देते हुए निचली अदालत द्वारा उसे सुनाई गयी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी।

अदालत ने सरवन के कृत्य को ‘‘दुर्लभतम श्रेणी’’ का अपराध करार दिया है और इस मामले में सबूत मिटाने की दोषी पाई गई सरवन की भाभी सुमन को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई चार साल सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माने की सजा को भी सही करार दिया।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति सरोज यादव की पीठ ने निचली अदालत के संदर्भ को स्वीकार करते हुए और सरवन एवं उसकी भाभी की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। निचली अदालत ने 29 अगस्त, 2017 को सरवन को फांसी की सजा सुनाई थी और उसकी पुष्टि के लिए मामले का संदर्भ उच्‍च न्‍यायालय को भेज दिया था।

राज्य सरकार की ओर से मामले में बहस करते हुए शासकीय अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव और अपर शासकीय अधिवक्ता पंकज तिवारी ने दलील दी कि ‘‘सरवन ने उसकी भाभी से अवैध संबधों का विरोध करने पर’’ अपनी पत्नी एवं अपने तीन बच्चों के अलावा अपने पड़ोसी की पत्नी एवं उसके एक बच्चे की कुल्हाड़ी से काटकर नृशंस हत्या कर दी थी और उसे इसका आज तक पछतावा नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि जेल से ऐसी भी कोई रिपेार्ट नहीं आयी है कि सरवन के सुधरने की कोई गुंजाइश है, ऐसे में निचली अदालत द्वारा उसे सुनायी गयी फांसी की सजा की पुष्टि की जानी चाहिए।

पीठ ने कहा कि सरवन ने अवैध संबंधों के कारण अपने पूरे परिवार तथा पड़ोसी के परिवार के भी दो सदस्यों की ‘‘क्रूर, निर्मम एवं पैशाचिक ढंग’’ से हत्या की है। उसने कहा कि उसके इस अपराध से दो परिवार तो प्रभावित हुए ही है, वह समाज के लिए खतरा भी बन गया है।

अदालत ने कहा कि सरवन पर जिस परिवार के भरण-पोषण, लालन-पालन एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, उसने उसी परिवार की निष्ठुर ढंग से हत्या कर दी, जो ‘‘सामूहिक नरसंहार’’ है। अदालत ने कहा कि सरवन ने छह लोगों की हत्या की है, जो सामान्य अपराध नहीं है। उसने कहा कि अपराधी ने न सिर्फ अपनी पत्नी संतोषी (35) बल्कि अपने तीन लड़कों रवि (डेढ़ साल) सुमिरन (चार) एवं रामरूप (छह) की निर्मम हत्या की, बल्कि बीच-बचाव करने गई वादी कोलई की पत्नी माधुरी (50) एवं उसके बेटे राजेंद्र (11) की भी सोच-विचार कर हत्या कर दी।

कोलई ने 25 अप्रैल, 2009 को थाना मोहनलालगंज में छह लोगों की हत्या के मामले में सरवन और उसकी भाभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\