देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने छेड़छाड़ मामले में प्राथमिकी निरस्त करने से इनकार किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने छेड़छाड़ के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने से इनकार करते हुए निर्देश दिया कि निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने की स्थिति में महिला से आरोपी हर्जाना प्राप्त करने का हकदार होगा।

नयी दिल्ली, दो सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने छेड़छाड़ के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने से इनकार करते हुए निर्देश दिया कि निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने की स्थिति में महिला से आरोपी हर्जाना प्राप्त करने का हकदार होगा।

संयुक्त राष्ट्र को शिकायतकर्ता द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद आरोपी को विश्व निकाय की अपनी आकर्षक नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था।

उच्च न्यायालय ने कहा कि हर्जाने के लिए निर्देश की आवश्यकता है क्योंकि इसने तीन सितंबर 2021 को दोनों पक्षों को इस मुद्दे को इस वजह से आगे नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया था कि वे मध्यस्थता की प्रक्रिया में थे और इसके बावजूद, महिला ने पुरुष के नियोक्ता को पत्र लिखा।

उच्च न्यायालय ने कहा कि वह किसी जांच एजेंसी के रूप में या निचली अदालत के रूप में सबूतों और अभिवेदनों की पेचीदगियों पर काम नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कहा कि उसने प्राथमिकी का अध्ययन किया है, जिसमें एक संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है।

इसने कहा कि पहले से शादीशुदा महिला की शिकायत और प्राथमिकी में विरोधाभास हो सकता है, लेकिन मुकदमे में इसकी पड़ताल की जानी चाहिए और आरोपपत्र दायर होने पर अदालत प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए जल्दबाजी नहीं कर सकती।

उच्च न्यायालय ने कहा कि इसलिए, प्राथमिकी और आरोपपत्र को रद्द करने की याचिका खारिज की जाती है तथा निचली अदालत को मामले का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया जाता है।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा, "हालांकि, इस मामले में सावधानी बरतने की जरूरत है। वर्तमान मामले के तथ्यों में, प्राथमिकी में आरोपों के कारण, याचिकाकर्ता (पुरुष) को संयुक्त राष्ट्र की अपनी आकर्षक नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा। इसलिए यह निर्देशित किया जाता है कि यदि निचली अदालत याचिकाकर्ता को बरी कर देती है और याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार पाए जाते हैं, तो याचिकाकर्ता संबंधित अवधि के लिए प्रतिवादी संख्या-2 (महिला) से वेतन की हानि सहित हर्जाने का हकदार होगा।’’

पुरुष के वकील ने तर्क दिया कि महिला ने 16-17 दिसंबर, 2020 को शिकायत की, जबकि कथित घटना 13 दिसंबर, 2019 को हुई थी। उन्होंने कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि शिकायत दर्ज कराने में एक साल से अधिक की देरी हुई।

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