नयी दिल्ली, 14 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को एक जनहित याचिका पर 10 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है । इस याचिका में राष्ट्रीय राजधानी में प्रवासी और निर्माण मजदूरों के लिए 3,200 करोड़ रुपये के सेस फंड में कथित अनियमितता की सीबीआई जांच कराने की मांग की गयी है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने आप सरकार को मामले में अपने जवाब में कैग द्वारा रेखांकित किए गए दिल्ली इमारत और अन्य निर्माण कामगार (डीबीओसीडब्ल्यू) कल्याण बोर्ड में जमा रकम, कोष के अनियमित खर्च पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है ।
अदालत ने 16 जून को दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने को कहा था लेकिन जवाब नहीं दिया गया।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक हलफनामा, विभिन्न ऑडिट और बोर्ड की निरीक्षण रिपोर्ट को संलग्न कर उच्च न्यायलय को अवगत कराया कि मार्च 2018 तक बोर्ड के पास 2,636.74 करोड़ रुपये जमा थे तथा श्रमिकों के कल्याण के लिए उसे और उपाय करने चाहिए ।
दिल्ली की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) ने अपने जवाब में कहा कि 2018 में एक शिकायत कर आरोप लगाया गया कि डीबीओसीडब्ल्यू कल्याण कोष के 136 करोड़ रुपये से ज्यादा का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए हुआ और इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी जिसकी जांच चल रही है ।
दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष के जरिए दाखिल हलफनामे में एसीबी ने कहा कि जांच के दौरान उसने बोर्ड समेत संबंधित प्राधिकारों से दस्तावेज मांगे और वह 2002 से 2018 तक पंजीकृत श्रमिकों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है ।
एसीबी ने कहा कि कानून के तहत लाभार्थियों को शादी, मातृत्व, मृत्यु और शिक्षा जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता दी गयी। सत्यापन की प्रक्रिया में पाया गया कि 1,000 लाभार्थियों को अनधिकृत तरीक से लाभ दिया गया । इसमें धोबी, प्रोपर्टी एजेंट, सुरक्षा गार्ड, रेहड़ी-पटरी लगाने वाले, रिक्शा चालक और घरेलू सहायक जैसे लोग थे ।
कैग ने 2016-18 की अवधि का विश्लेषण करते हुए कहा है कि निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए 13.17 लाख रुपये का ‘अनियमित खर्च’ हुआ । इसे 2016-17 और 2017-18 के दौरान श्रम विभाग के लिए वाहनों और ड्राइवर के इंतजाम के मद में दिखाया गया। यह रकम कोष में वापस की जानी चाहिए ।
कैग ने केंद्र सरकार के स्थायी वकील गौरांग कंठ के जरिए दाखिल हलफनामे में कहा कि दिल्ली के महालेखाकार (लेखा परीक्षा) ने बोर्ड का ऑडिट किया था ।
अदालत पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संस्थान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी ।
याचिका में कहा गया कि लाखों गैर निर्माण कामगारों का पंजीकरण किया गया । बड़े पैमाने पर हुए कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध इस याचिका में किया गया है।
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