देश की खबरें | गुजरात आईएमए ने ‘मिक्सोपैथी’ प्रस्ताव का विरोध किया, लोगों के स्वास्थ्य के लिए ‘गंभीर खतरा‘ बताया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की गुजरात शाखा ने मंगलवार को कहा कि 'मिक्सोपैथी' नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए ‘गंभीर खतरा’ उत्पन्न करता है। आईएमए ने सांसदों से अनुरोध किया कि वे गुजरात के लोगों के स्वास्थ्य पर इस तरह के फैसलों के दीर्घकालिक प्रभाव पर विचार करें।

अहमदाबाद, 31 दिसंबर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की गुजरात शाखा ने मंगलवार को कहा कि 'मिक्सोपैथी' नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए ‘गंभीर खतरा’ उत्पन्न करता है। आईएमए ने सांसदों से अनुरोध किया कि वे गुजरात के लोगों के स्वास्थ्य पर इस तरह के फैसलों के दीर्घकालिक प्रभाव पर विचार करें।

'मिक्सोपैथी' का तात्पर्य रोगियों के उपचार के लिए विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों जैसे एलोपैथी या आधुनिक चिकित्सा को होम्योपैथी और आयुर्वेद के साथ मिश्रित करने से है।

यह घटनाक्रम राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ गुजरात मेडिकल काउंसिल, गुजरात बोर्ड आफ आयुर्वेद एंड यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन और गुजरात काउंसिल ऑफ होम्योपैथी सिस्टम ऑफ मेडिसिन आदि के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाए जाने के कुछ दिनों बाद हुआ है, जिसमें आयुर्वेद में प्रशिक्षित चिकित्सकों को एलोपैथी प्रैक्टिस करने की अनुमति देने के मुद्दे पर चर्चा होनी है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा 27 दिसंबर को जारी और आईएमए गुजरात द्वारा साझा किए गए पत्र के अनुसार, प्रधान सचिव धनंजय द्विवेदी की अध्यक्षता में बैठक 3 जनवरी, 2025 को बुलाई गई है। हालांकि, आईएमए ने इस विचार का विरोध किया है।

विभिन्न निर्वाचित प्रतिनिधियों को संबोधित एक पत्र में, आईएमए ने कहा, ‘‘हम आपसे विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के बीच शुचिता और सामंजस्य बनाए रखने और चिकित्सा शिक्षा एवं प्रैक्टिस में ‘मिक्सोपैथी या शॉर्टकट’ की अवधारणा का समर्थन करने से बचने का आग्रह करते हैं। ‘मिक्सोपैथी’ हमारे नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है।’’

आईएमए गुजरात के पत्र में कहा गया है कि इस तरह का दृष्टिकोण प्रत्येक चिकित्सा पद्धति की शुचिता और विशेषज्ञता को कमजोर करता है, जिससे रोगी की देखभाल से समझौता होता है और संभावित सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट पैदा होता है। आईएमए ने सरकार से सुरक्षित और साक्ष्य-आधारित चिकित्सा पद्धतियों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया, क्योंकि मिक्सोपैथी की अनुमति देने या बढ़ावा देने से "गलत निदान, अनुचित उपचार और गंभीर, प्रतिकूल घटनाओं सहित खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।’’

आईएमए गुजरात के अध्यक्ष डॉ मेहुल शाह और अन्य पदाधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में विभिन्न निर्वाचित प्रतिनिधियों से "गुजरात के लोगों के स्वास्थ्य पर ऐसे निर्णयों के दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार करने" का अनुरोध किया गया है।

स्वास्थ्य, चिकित्सा सेवा और चिकित्सा शिक्षा आयुक्त हर्षद पटेल को लिखे एक पत्र में, गुजरात आईएमए ने "मिक्सोलॉजी" की प्रथा को "गैरकानूनी" बताया।

द्विवेदी और पटेल से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका।

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